गेहूं के भाव में रिकार्ड तेजी | 8 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंचे भाव

 

किसान साथियो बड़ी विडम्बना की बात है कि भारत देश में ऐसी व्यवस्था बन गई है कि अन्न पैदा करने वाले अन्नदाता को उसकी फ़सल का सही भाव नहीं मिलता। कितनी ही बार यह देखने को मिलता है कि किसानों को अपनी फ़सल को रोड़ पर फेंकना पड़ता है। जब फ़सल किसान हाथ में होती है तो उस समय फ़सल के भाव न्यूनतम स्तर पर होते हैं। लेकिन जैसे ही फसल उसके हाथ से निकल जाती है इसके भाव बढ़ने लग जाते हैं। बासमती का हाल तो आपने देख ही लिया है लेकिन आज की रिपोर्ट में हम गेहूं के बारे में बात कर रहे हैं। क्योंकि गेहूं के भाव इन दिनों आसमान छू रहे हैं। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

8 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा गेहूं का भाव
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर सप्लाई और त्योहारी मांग के चलते गेहूं के भाव ने  8 महीने के उच्चतम स्तर को छू लिया है । आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने सरकार लगातार प्रयासरत है। इन प्रयासों में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना, स्टॉक लिमिट लगाना और गेहूं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भंडार से अधिक स्टॉक जारी करना शामिल है। बहरहाल गेहूं की कीमतों में बन रही तेजी को देखते हुए आयात शुल्क हटाने की आवश्यकता हो सकती है।  दिल्ली में लॉरेंस रोड़ पर गेहूं की कीमतें मंगलवार को 1.6 प्रतिशत उछलकर 27,39 रुपये प्रति क्विंटल  पर पहुंच गईं, जो 10 फरवरी के बाद का उच्चतम स्तर है। इन आंकड़ों के हिसाब से पिछले छह महीनों में गेहूं के भाव में  लगभग 22 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है।  क्या सरसों बेचने का सही समय आ गया है | नुकसान से बचने के लिए जरूरी है ये रिपोर्ट

बढ़ती कीमतों पर जानकारों की क्या है राय
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने समाचार एजेन्सी के हवाले से कहा है कि त्योहारी सीजन की मांग से गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। सरकार को कीमतें कम करने के लिए शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देनी चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस समय भारत में गेहूं पर 40 प्रतिशत आयात कर लगाया हुआ है और फिलहाल इसे  खत्म करने की कोई तत्काल योजना नहीं है। फिलिप कैपिटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में कमोडिटी रिसर्च के प्रमुख अश्विनी बंसोड़े ने कहा कि आयात ना होने और सरकार का 2023-24 में गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा ना होने के कारण घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2023 में भारत सरकार 341.5 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले किसानों से 262 लाख टन गेहूं ही खरीद पायी थी।

गेहूं का सरकारी स्टॉक घटा
इधर सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिकवाली के चलते सरकारी गोदामों में गेहूं के घटते भंडार को लेकर चिंता बढ़ रही है। 1 अक्टूबर 2023 को सरकारी गोदामों में 24 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का भंडार था, जो कि पिछले पांच साल के औसत 37.6 मिलियन टन से काफी कम है।

अल नीनो से बढ़ सकती है मुश्किलें
दोस्तो आने वाले समय में अल नीनो का खतरा गहरा सकता है। बाजार अभी से ही अल नीनो मौसम पैटर्न के संबंध में चिंताओं को ध्यान में रख रहा है। अल नीनो के चलते सर्दियों में तापमान सामान्य से अधिक हो सकता है और संभावित रूप से आगामी गेहूं की फसल पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।

3000 के पार जा सकती है गेहूं की कीमते
बाजार की जानकारी का कहना है कि अगर सरकार ने समय रहते शुल्क मुक्त आयात को नहीं खोला तो आने वाले समय में गेहूं की कीमतें 3000 के स्तर को पार कर सकती है। गेहूं की बढ़ती कीमतों का आम आदमी के ऊपर तो प्रभाव पड़ेगा ही साथ में किसानों को भी इसका कोई फायदा होने वाला नहीं है क्योंकि किसानों के पास इस समय गेहूं की फसल का कोई स्टॉक नहीं है। जब किसान के पास गेहूं था तो उस समय तरह तरह के कट लगने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (2125) रुपये का भाव भी बड़ी मुश्किल से मिला था।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।