महाराष्ट्र में नहीं घट रही गेहूं की कीमतें | जाने मंडियों से क्या मिल रही है रिपोर्ट

 

 महाराष्ट्र में गेहूं के दामों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

किसान साथियों महाराष्ट्र में हाल ही के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की बड़ी जीत के बीच, एक और बड़ी चर्चा ने किसानों और उपभोक्ताओं का ध्यान खींचा है। मुंबई की मंडियों में गेहूं के दामों ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से तीन गुना अधिक दरों पर गेहूं की बिक्री हो रही है। महाराष्ट्र की मंडियों में कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, और यह स्थिति आम आदमी और किसान दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है।

गेहूं की बढ़ती कीमतों का यह मुद्दा केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है; यह देश के खाद्य आपूर्ति और बाजार पर भी व्यापक प्रभाव डाल रहा है। आइए, इस लेख में विस्तार से समझें कि मुंबई में गेहूं की कीमतें क्यों आसमान छू रही हैं, इसके पीछे कौन से कारण जिम्मेदार हैं, और इसका समाधान क्या हो सकता है।

महाराष्ट्र में गेहूं की मौजूदा कीमतें: MSP से तीन गुना अधिक

महाराष्ट्र की प्रमुख आठ मंडियों में गेहूं की अधिकतम थोक कीमतें ₹3000 प्रति क्विंटल तक पहुंच चुकी हैं। लेकिन मुंबई की मंडियों ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जहां गेहूं की कीमत ₹6000 प्रति क्विंटल से भी अधिक हो गई है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (₹2275 प्रति क्विंटल) से लगभग तीन गुना अधिक है।

22 नवंबर 2024 की रिपोर्ट

महाराष्ट्र कृषि विपणन बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 22 नवंबर 2024 को मंडियों में गेहूं की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। यहां तक कि मुंबई में रिकॉर्ड 6706 क्विंटल गेहूं की आवक के बावजूद न्यूनतम कीमत ₹2275 से अधिक रही। यह दर्शाता है कि बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर है।

कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?

महाराष्ट्र में देश के कुल गेहूं उत्पादन का केवल 2% हिस्सा ही पैदा होता है। राज्य के भीतर उत्पादन कम होने के कारण यहां गेहूं की कीमतें आमतौर पर अधिक रहती हैं। इस बार, ऑफ-सीजन के कारण किसान मंडियों में अपनी फसल नहीं ला रहे हैं, जिससे व्यापारियों को अधिक कीमत वसूलने का मौका मिल रहा है।

मुंबई में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण ये है कि इस बार महाराष्ट्र में गेहूं का उत्पादन देश के कुल उत्पादन का केवल 2% है। इस स्थिति में राज्य को अन्य राज्यों से आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ता है। जब उत्पादन और आपूर्ति दोनों कम होती हैं, तो मंडियों में गेहूं की कीमतें बढ़ जाती हैं। मुंबई जैसे बड़े शहरों में गेहूं की मांग हमेशा अधिक रहती है। लेकिन इस बार, किसानों ने मंडियों में अपनी फसल लाने में कमी की है। इसका सीधा असर बाजार पर पड़ा है  यह समय रबी फसल की बुवाई का है। किसान अपनी पुरानी फसल बचाकर रखते हैं या नई फसल की तैयारी में लग जाते हैं। इस वजह से मंडियों में गेहूं की आवक कम हो जाती है, और व्यापारी इस कमी को भुनाने की कोशिश करते हैं। व्यापारी अक्सर गेहूं की जमाखोरी करके बाजार में कृत्रिम कमी पैदा करते हैं। इससे कीमतें बढ़ जाती हैं। इस बार भी यही रणनीति अपनाई गई है, जिसके चलते मुंबई में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई हैं।

गेहूं की कीमतों में उछाल का असर

गेहूं की ऊंची कीमतें किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं, लेकिन यह स्थिति वास्तविकता से दूर है। छोटे किसान, जिनके पास अपनी फसल को लंबे समय तक भंडारण करने की सुविधा नहीं है, इस स्थिति का लाभ नहीं उठा पाते। मंडियों तक अपनी फसल पहुंचाने वाले किसानों को भी इस उछाल का पूरा फायदा नहीं मिलता क्योंकि बिचौलिये और व्यापारी अधिक मुनाफा कमाते हैं।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव

गेहूं की बढ़ती कीमतें सीधे तौर पर आटे की कीमतों को प्रभावित करती हैं। यह रोज़मर्रा की जिंदगी में महंगाई बढ़ाने का कारण बनती हैं। मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन रही है।किसानों के लिए यह कीमतें एक मौका हो सकती हैं, लेकिन यह उतना आसान नहीं है। जब तक किसानों के पास अपनी फसल का भंडारण करने की क्षमता नहीं होती, वे इस बढ़ती कीमत का लाभ नहीं उठा पाते।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।