गेहूं के रकबे में आई 15 प्रतिशत तक की गिरावट | जाने पूरी जानकारी इस रिपोर्ट में

 

किसान साथियो देश में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई इस साल पिछले साल की तुलना में काफी कम हुई है। नवंबर महीने के शुरुआत तक लगभग 41.3 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई है, जबकि पिछले साल इस समय तक यह आंकड़ा 48.87 लाख हेक्टेयर था। विशेष रूप से मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई में काफी गिरावट देखी गई है। इस वर्ष मध्य प्रदेश में 10.56 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 26.58 लाख हेक्टेयर था। उत्तर प्रदेश में भी गेहूं की बुवाई में पिछले वर्ष की तुलना में कमी देखी गई है। सरकार का अनुमान है कि इस वर्ष देश में लगभग 336.23 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई होगी और लगभग 114 मिलियन टन का उत्पादन होगा। हालांकि, बुवाई में कमी के कारण उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए फरवरी-मार्च महीनों में तापमान सामान्य रहना बहुत जरूरी है। करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान का कहना है कि उत्तर भारत में गेहूं की बुवाई का कार्य शुरू हो चुका है और उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक अधिकतम क्षेत्रफल में बुवाई हो जाएगी। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

गेहूं की बुवाई का क्या रखा गया है लक्ष्य
देश में गेहूं की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। बीते पांच वर्षों में गेहूं का औसत बोया गया क्षेत्र लगभग 312 लाख हेक्टेयर रहा है। इस वर्ष, उत्तर प्रदेश ने गेहूं की बुवाई का लक्ष्य 101.12 लाख हेक्टेयर रखा है जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। इसी तरह, हरियाणा और पंजाब में भी गेहूं की बुवाई में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। राजस्थान में भी गेहूं की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले लगभग बराबर रहा है। हरियाणा में गेहूं की बुवाई में प्रति वर्ष बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और इस बार नवंबर की शुरुआत तक 5 लाख हेक्टेयर का आंकड़ा पार हो गया है। राजस्थान में भी लगभग 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हो चुकी है। केंद्र सरकार ने गेहूं के उत्पादन के लिए आगामी वर्षों में 113.30 मिलियन टन और 115 मिलियन टन का लक्ष्य निर्धारित किया है। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही रबी सत्र की फसलों के उत्पादन की सप्ताहित रिपोर्ट जारी करेगी।

गेहूं की कीमतों में बनी हुई है जबरदस्त तेजी
देश के दक्षिण भाग में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं। रेलवे गुड्स शेड में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड 34,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई हैं। इस अभूतपूर्व वृद्धि के कारण, आटा मिलें सरकार से खुले बाजार में गेहूं बेचने की योजना को फिर से शुरू करने या आयात शुल्क कम करके गेहूं का आयात करने की अनुमति देने का अनुरोध कर रही हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की उपलब्धता में कमी आने के कारण ही कीमतें इतनी बढ़ी हैं। दिल्ली में तो स्थिति और भी गंभीर है, जहां गेहूं की कीमतें 3200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। हालांकि, सरकार ने अभी तक खुले बाजार में गेहूं बेचने की योजना को फिर से शुरू करने या आयात की अनुमति देने के संकेत नहीं दिए हैं। खाद्य मंत्रालय का मानना है कि आयात से कीमतों में वृद्धि को रोका नहीं जा सकता।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।