एक्सपोर्टर्स चावल पर लगे बैन के खिलाफ पहुंचे सुप्रीम कोर्ट | जानिए क्या है यह पूरा मामला?
किसान साथियो भारत सरकार द्वारा चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ निर्यातक अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। सरकार ने देश में चावल का पर्याप्त भंडार बनाए रखने और घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखने के उद्देश्य से 20 जुलाई, 2023 को चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। निर्यातकों का मानना है कि सरकार का यह फैसला उनके पहले से हुए अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों को प्रभावित कर रहा है। वे चाहते हैं कि अदालत इस प्रतिबंध में कुछ ढील दे ताकि वे अपने अनुबंधों को पूरा कर सकें। एक निर्यातक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, "कई निर्यातक पहले ही इस मामले को अदालत में ले जा चुके हैं और कई अन्य भी ऐसा करने की तैयारी कर रहे हैं।" निर्यातकों का कहना है कि यह प्रतिबंध उनके व्यवसाय को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
सुप्रीम कोर्ट में गैर-बासमती चावल निर्यात प्रतिबंध को चुनौती
रीका ग्लोबल इम्पेक्स लिमिटेड ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें भारत सरकार द्वारा लगाए गए गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध को चुनौती दी गई है। कंपनी ने अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की है और इस मामले में भारत संघ, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) और राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड को नोटिस जारी किया गया है। कंपनी का कहना है कि यह प्रतिबंध उनके व्यापार को प्रभावित कर रहा है और इससे देश के किसानों को भी नुकसान हो रहा है। रीका ग्लोबल इम्पेक्स लिमिटेड ने हाल ही में एक याचिका दायर की है जिसमें उसने डीजीएफटी द्वारा जारी दो अधिसूचनाओं को चुनौती दी है। इन अधिसूचनाओं के माध्यम से "गैर-बासमती सफेद चावल" के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि पहली अधिसूचना, जो 20 जुलाई, 2023 को जारी की गई थी, ने "गैर-बासमती सफेद चावल" के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। इसके बाद जारी दूसरी अधिसूचना, जो 25 सितंबर, 2023 को जारी की गई थी, में केवल 75,000 मीट्रिक टन "गैर-बासमती सफेद चावल" के निर्यात की अनुमति दी गई है, और वह भी केवल नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड के माध्यम से।
अभी गोदाम में 1.3 करोड़ किलो चावल पड़ा हुआ है
साथियो जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह की बेंच के समक्ष एक याचिका दायर की गई है जिसमें गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संख्या 20/2023 से पहले उन्होंने लगभग 1.3 करोड़ किलोग्राम चावल खरीद लिया था, जो अभी भी एक गोदाम में रखा हुआ है। याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि अधिसूचना जारी होने से पहले उन्होंने इस चावल को निर्यात करने के लिए एक अनुबंध किया था और उस अनुबंध के अनुसार भुगतान भी ले लिया था। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले को कई राज्यों के उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है और उच्च न्यायालयों ने इस मुद्दे पर अलग-अलग फैसले दिए हैं। इस विरोधाभासी स्थिति को देखते हुए, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस प्रतिबंध को हटाने का अनुरोध किया है। साथ ही, याचिकाकर्ता ने सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की वैधता पर भी सवाल उठाए हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
भारतीय निर्यातको को अधिसूचना की तारीखों से हो रही है परेशानी
भारतीय निर्यातक अधिसूचनाओं की तारीखों को लेकर काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं। चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध और भुगतान की तारीखों के मुकाबले अधिसूचना की तारीखें पहले की जारी की गई हैं। रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक अभिषेक ए रस्तोगी के अनुसार, यह स्थिति भारतीय व्यापारियों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा, "चूकि ये पहले से तय किए गए समझौतों के आधार पर किए गए अंतरराष्ट्रीय अनुबंध हैं, इसलिए भारतीय व्यापारियों को इन अनुबंधों को पूरा करने में मुश्किलें आ सकती हैं।" उन्होंने आगे बताया, "चावल एक खाद्य उत्पाद है और इसे लंबे समय तक कोल्ड स्टोरेज में नहीं रखा जा सकता, जिससे निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है।"
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।