पाकिस्तान कर रहा बासमती में झोल | भारत को मिल सकता है फायदा | जाने पूरी खबर

 

किसान साथियो यूरोपीय संघ (ईयू) में पाकिस्तान से निर्यात किए गए जैविक बासमती चावल की एक खेप में जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) चावल मिला है। यह खुलासा यूरोपीय संघ के खाद्य और फ़ीड के लिए रैपिड अलर्ट सिस्टम (RASFF) ने किया है। यह खेप नीदरलैंड होते हुए जर्मनी पहुंची थी और जर्मनी तथा लक्ज़मबर्ग की सरकारी प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों में जीएम चावल की पुष्टि हुई है। इस घटना के कारण पाकिस्तान को यूरोपीय बाजार में बड़ा झटका लग सकता है। दूसरी ओर, भारत के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि अब यूरोपीय संघ में भारतीय बासमती चावल को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिलने की संभावना बढ़ गई है। जीआई टैग मिलने से भारतीय बासमती चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विशिष्ट पहचान मिलेगी और इसकी गुणवत्ता की गारंटी भी होगी। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

साथियो पाकिस्तान से यूरोपीय संघ में निर्यात किए गए बासमती चावल में जीएम चावल मिलने के कारण पाकिस्तानी बासमती की विश्वसनीयता पर गहरा प्रश्नचिह्न लग गया है। इस घटना से भारत को बड़ा लाभ मिल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यूरोपीय संघ भारतीय बासमती चावल को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान करता है, तो भारत का बासमती चावल निर्यात 4 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ सकता है। भारत ने वर्ष 2018 में यूरोपीय संघ में जीआई टैग के लिए आवेदन किया था, लेकिन पाकिस्तान ने इसका विरोध किया था। यूरोपीय संघ चाहता है कि दोनों देश संयुक्त रूप से यह आवेदन करें, लेकिन भारत सरकार ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया है।

यूरोपीय संघ जीएम उत्पादों के प्रति रहता है सतर्क
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोपीय संघ जीएम उत्पादों के प्रति बेहद सतर्क रहता है। पाकिस्तानी बासमती की एक खेप में जीएम चावल मिलना इस बात का प्रमाण है कि निर्यात के दौरान गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं। इस घटना के बाद यूरोपीय आयोग पाकिस्तान में चल रही गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली में सुधार करने के लिए दबाव डाल सकता है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी बासमती के डीएनए विश्लेषण में चीन से आयातित जीएम चावल के तत्व पाए गए हैं। यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है। साल 2011 और 2012 में भी इसी तरह के छह मामले सामने आए थे।

पाक‍िस्तान का क्या है दावा
"बासमती राइस: द नेचुरल ज‍ियोग्राफ‍िकल इंड‍िकेशन" पुस्तक के लेखक एस चंद्रशेखरन के अनुसार, जीएम उत्पाद और जीआई उत्पाद एक साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान से निर्यात किए गए बासमती चावल में जीएम चावल मिलने की घटना यूरोपीय संघ में पाकिस्तान के जीआई टैग के दावे को प्रभावित कर सकती है। इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान ने यूरोपीय संघ से अपनी सुगंधित चावल की किस्मों के लिए जीआई टैग मांगा था, जिसका भारत ने विरोध किया है। इसके अलावा, पाकिस्तान के आवेदन में कई विसंगतियां पाई गई हैं, जिनमें भारत के हिस्से वाले क्षेत्रों में बासमती का उत्पादन करने का दावा भी शामिल है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

आगे क्या हो सकता है
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी बासमती चावल में मिले जीएम तत्वों का कारण चीन सहित अन्य देशों से आयात किए गए जीएम चावल के बीज हो सकते हैं, जिनका पाकिस्तानी वैज्ञानिकों द्वारा परीक्षण किया जा रहा था। यूरोपीय संघ में जीएम खाद्य पदार्थों पर सख्त नियम लागू हैं और किसी भी जीएम फसल को उगाने और बेचने के लिए संबंधित अधिकारियों की अनुमति अनिवार्य है। चूंकि पाकिस्तानी बासमती में जीएम चावल की मौजूदगी पाई गई है, इसलिए पाकिस्तान को अब यह शिपमेंट वापस लेना होगा। यह घटना पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।