सरकार गेहूं की बढ़ती महंगाई को नहीं रोक सकीं तो मिल क्वालिटी गेहूं जनवरी से पहले 3000 रुपए के पार हो सकता है

 

किसान साथियों गेहूं की कमी वितरक मंडियों एवं रोलर फ्लोर मिलों में बनी हुई है जिसके चलते बाजार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। चालू महीने में इसमें 175/180 रुपए प्रति क्विंटल की उल्लेखनीय तेजी आ चुकी है। अभी नई फसल आने में 5 महीने से अधिक का समय बाकी है। सरकार अभी से रोलर फ्लोर मिलों को प्रोसेसिंग के अनुरूप गेहूं उपलब्ध नहीं कराएगी एवं जमाखोरी पर रोक नहीं लगाएगी, तो यह जनवरी से पहले 3000 रुपए को पार कर कर सकता है । जानकारों का मानना हैं की गत जून- जुलाई महीने से ही गेहूं की आपूर्ति हेतु सरकार सक्रिय हो चुकी है, लेकिन अभी तक रोलर फ्लोर मिलों को प्रोसेसिंग के अनुरूप गेहूं उपलब्ध नहीं होने से लगातार बाजार बढ़ता जा रहा है। चालू महीने के अंतराल यानी 22-23 दिनों में ही गेहूं के भाव 175/180 रुपए छलांग लगाकर 2775/2785 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर मिल क्वालिटी भाव हो चुके हैं। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

आटा मैदा सूजी के भाव भी इसी अनुपात में बढ़कर क्रमश: 1520, 1580, 1630 रुपए प्रति 50 किलो बिकने लगे हैं। आटे की थैली भी 260 से बढ़कर 290/300 रुपए प्रति 10 किलो की ऊंचाई पर पहुंच गई है। व्यापारियों के विचार में महंगाई को काबू करने के लिए, यदि सरकार के पास वास्तविकता में गेहूं का भंडारण प्रचुर मात्रा में है तो खुले बाजार में बिक्री हेतु रोलर फ्लोर मिलों को 100 टन से बढ़ाकर 300 टन कर दिए जाने से गेहूं की प्रचुरता रोलर फ्लोर मिलों एवं चक्कियों में बढ़ जाएगी, जिससे बढ़ती महंगाई से निजात मिल सकेगा। दूसरी ओर जहां भी जमाखोरी अनावश्यक हो रही है, उस पर सख्ती करने की जरूरत है। गौरतलब है कि गत वर्ष इन दिनों लॉरेंस रोड पर मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 2680/2685 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे थे, जो इस समय 2780/2785 रुपए हो गए हैं। इस बार जून के महीने से ही सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री शुरू कर दी गई है तथा समय-समय पर मूल्यों को नियंत्रण के लिए संशोधन भी किया जाता रहा है।

सरकार को चालू विपणन वर्ष में 262 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है, जबकि गत वर्ष को खरीद 187.89 लाख मैट्रिक टन ही हो पाई थी। सरकार द्वारा विषम परिस्थिति में भी गेहूं की महंगाई रोकने के लिए बहुत ही समय से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री की जा रही है। बाजार के व्यापारियों की राय में बड़ी कंपनियों के पास गेहूं का स्टॉक है, लेकिन उनकी बिकवाली अभी नहीं आ रही है, क्योंकि गत वर्ष जनवरी के महीने में 3150/3175 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं मिल क्वालिटी बिक गया था। अतः सरकार को गेहूं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए मिलिंग क्षमता के अनुरूप रोलर फ्लोर मिलों को बिक्री किया जाना चाहिए तथा यह तभी संभव है, जब 100 टन से बढ़ाकर 300 टन प्रति मिल को गेहूं बेचा जाएगा।

दूसरी ओर जमाखोरी पर चौतरफा सख्ती करनी होगी। अभी भी काफी ट्रेडर्स एवं कुछ मिलों में स्टॉक अधिक होने की चर्चा आ रही है, इन परिस्थितियों में सरकार को तत्परता बरतना जरूरी है, क्योंकि अभी गेहूं की फसल आने में पूरा 5 महीने का समय बाकी है, जबकि गेहूं आवश्यक खाद्यान्न है, इसके बिना एक दिन भी गुजारा चल पाना मुश्किल है । अत: रोलर फ्लोर मिलें एवं आटा चक्कियों में सुगमता बनाए रखना है तथा आटा मैदा सूजी के ऊंचे भाव को भी नियंत्रण करना है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करे

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।