हरियाणा में बाजरे की सरकारी खरीद अच्छे से नहीं हो पा रही
यह बड़ी अजीब सी बात है कि हरियाणा के किसानों को बाजरे की अपनी फसल की निर्धारित कीमत प्राप्त करने के लिए भी जूझना पड़ रहा है। राज्य में निर्धारित कीमत पर बाजरे की खरीद का शुरू हुए अभी तक करीब 11 दिनों का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक यह खरीद अच्छे नहीं हो पाई है । व्यापारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नोडल एजेंसी किसी दिन खरीद कर लेती है और फिर किसी दिन खरीद नहीं करती है। इसकी वजह से किसानों के बीच असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है । WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें
केन्द्र सरकार बाजरे यानी श्रीअन्न' को बढ़ावा दे रही है । इसके उलट हरियाणा के किसान अपनी बाजरे की फसल की उचित कीमत पर बिक्री के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। गौरतलब है कि 'श्रीअन्न' को प्रोत्साहन देने के लिए आज राजधानी दिल्ली के छावला स्थित सैंट्रल आर्मड पुलिस फोर्सेज (सीएपीएफ) परिसर में बाजरे को प्रोत्साहन दिए जाने के लिए आज एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। इसमें उत्तर भारत के कई बाजरा एफपीओ ने अपने-अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया।
दक्षिणी हरियाणा की भिवानी मंडी स्थित व्यापारी बाबूलाल सिंघल ने बताया कि एक तरफ तो केन्द्र सरकार बाजरे को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 में विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष भी बाजरे से तैयार किए गए विभिन्न व्यंजनों को परोसा लेकिन बाजरे के अग्रणी उत्पादक राज्य, हरियाणा, के किसान अपनी इस फसल को उचित कीमत बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ।
उन्होंने आगे बताया कि एक दिन पूर्व सरकार की नोडल एजेंसी यानी हैफेड ने हमारी मंडी में बाजरे की 2200 रुपए प्रति क्विंटल की पूर्व निर्धारित कीमत पर खरीद की थी लेकिन आज अभी तक ऐसा नहीं हो पा रहा है । यह आज की ही बात नहीं है। करीब 11 दिन पूर्व जब क्षेत्र में बाजरे की खरीद शुरू हुई तब से लेकर अभी तक कई बार ऐसा हो चुका है कि यहां खरीद नहीं हुई है।
इसी प्रकार की शिकायत क्षेत्र की चरखी दादरी मंडी स्थित व्यापारी भारत भूषण गुप्ता ने भी की। उन्होंने बताया कि हैफेड से मिली सूचना के आधार पर क्षेत्र के किसान भारी मात्रा में मंडी में अपना बाजरा लेकर आ रहे हैं। मंडी में अभी भी करीब 30-35 हजार क्विंटल बाजरा पड़ा हुआ है लेकिन इसकी खरीद अच्छे नहीं हो पा रही है। राज्य सरकार की अधिकृत एजेंसी, हैफेड, किसी दिन खरीद कर लेती है और फिर किसी दिन बगैर कोई उचित कारण बताए ही खरीद को रोक देती है ।
व्यापारियों ने बताया कि खरीद सुचारू नहीं होने और किसानों का भारी मात्रा में बाजरा मंडियों में पड़ा होने की वजह से अन्य जिंसों का थोक व्यापार भी प्रभावित हो रहा है । उन्होंने आगे बताया कि मंड़ी में बाजरे के इतने ढेर लगे हुए हैं कि पैर रखने की जगह ही नहीं बची हुई है। ऐसी स्थिति में नरमा आदि अन्य मौसमी फसलों को मंडी प्रांगण तक पहुंचने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है ।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह बाजरे की खरीद को अच्छे करके जल्दी ही इसका निपटान भी करे ताकि कपास जैसी अन्य मौसमी फसलों के व्यापार के लिए मंड़ी प्रांगण में स्थान उपलब्ध हो सके । इतना ही नहीं, किसानों को भी बाजरे की बजाए पर अपनी अन्य फसलों की बिक्री पर भी ध्यान लगाने का समय मिल सके।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।