बिकवाली के प्रेशर से जीरे के भाव में आई और गिरावट | देखे पूरी रिपोर्ट

 

चालू सीजन में जीरे का उत्पादन कम होने एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मक लिवाली चलने से तेजी के सारे रिकॉर्ड टूट चुके थे । अब वायदा बाजार में बड़े सटोरियों द्वारा काफी माल बेच दिया गया है. जिससे बाजार को पिछले 4 दिनों से तोड़ने में लगे हुए हैं, जैसे ही अक्टूबर की मित्ती कटेगी, उसके बाद ही बाजार बढ़ सकता है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

जीरे का उत्पादन इस बार 40- 41 प्रतिशत कम होने तथा गत वर्ष भी जीरे के उत्पादन में भारी कमी होने से पुराना स्टॉक, नई फसल आने पर समाप्त हो गया था । यही कारण है की सीजन से ही बाजार बढ़ते चले गए। ऊंझा में जो जीरा, सीजन के शुरुआत में 245 / 250 रुपए प्रति किलो बिका था, उसके भाव 610/620 रुपए प्रति किलो ऊपर में दिख आया है तथा अब वहां इसके भाव 565/670 रुपए प्रति किलो पर आ गया है। इसी अनुपात में यहां भी सीजन के शुरुआत में जीरा 305/310 रुपए नीचे में बिकने के बाद 650/665 रुपए प्रति किलो ऊपर में दिख आया है। अब इन मालों के भाव 615 / 630 रुपए प्रति किलो चल रहे हैं। वायदा बाजार में डिलीवरी ज्यादा नहीं है तथा काफी बिके मालों की डिलीवरी बाकी है, जिससे अक्टूबर की मित्ती में माल की डिलीवरी देने के लिए बड़े सटोरियों की मिली भगत से बाजार को घटाकर पानी-पानी कर दिए हैं, जिससे कि कम लागत में डिलीवरी हो सके । उत्पादक मंडियों में आवक पूरी तरह टूट गई है,

वायदा बाजार में जितना माल बिका है, उतना हाजिर स्टॉक में माल नहीं है। अतः बाजार मित्ती कटते ही 30/35 रुपए प्रति किलो बढ़ जाने की संभावना दिखाई दे रही है । हम मानते हैं कि सीजन में आई तेजी नुकसानदायक होती है तथा ऊंचे भाव आने पर चीन का भी कुछ माल पड़ते में पिछले दिनों आने की चर्चा है, लेकिन अब बाजारों में यहां से चीन को निर्यात की संभावना वाली अपुष्ट खबरें आने लगी हैं, इन सब के बावजूद तुर्की, सीरिया, जॉर्डन, " सूडान, नाइजीरिया में फसल पूरी तरह फेल हो जाने से, जो हल्का जीरा भारतीय बाजारों को रोकता था तथा खाड़ी के देशों को आपूर्ति होता था, उनकी मांग लगातार बनी हुई है,

इन परिस्थितियों में जीरा 66 प्रतिशत से अधिक भारतीय बाजारों से जीरा निकल चुका है तथा नई फसल आने में अभी पूरा 6 महीने का समय बाकी है । यही कारण है कि अभी जीरे में घबराने की जरूरत नहीं है। वायदा बाजारों में बड़े सटोरिये माल को ऊंचे भाव में बेचे हुए हैं, जिनकी डिलीवरी करने के लिए बीच-बीच में बाजार को घटते रहेंगे, लेकिन अंततः बाजार आगे चलकर तेज ही रहेगा। राजस्थान के जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर लाइन में भी एवरेज क्वालिटी का जीरा काफी निबट चुका है। अतः यहां से 10 दिन के बाद ही बाजार बढ़ने की संभावना दिखाई दे रही है।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।