जीरा की नई फसल की संभावित बिजाई से जीरे के भाव मे दबाव बना रहने के है आसार

 

उत्तर भारत से मानसून के विदा होने के बाद अब तापमान में भी कमी आने लगी है। इसकी वजह से गुजरात में सौंफ की तेजी से बिजाई हो रही है लेकिन तापमान जीरे की बुआई की दृष्टि से अभी थोड़ा ऊंचा ही बताया जा रहा है। आगामी दिनों में जीरे के बाजारों पर नई फसल की संभावित बिजाई का असर बना रहने के आर हैं। आप सुधि पाठकों को समय-समय पर जीरे की तेजी-मंदी के सम्बन्ध में नवीनतम जानकारियां मिलती रहती हैं और उन्हें इससे लाभ भी होता है। आधिकारिक तौर पर अब देश से उत्तर-पश्चिमी मानसून विदा हो गया है। हालांकि इससे पूर्व बीता अगस्त महीना ऐतिहासिक सूखा साबित हुआ था। गुजरात में इस बार वर्षा की कमी की स्थिति बनी हुई है। मानसून विदा होने के बाद तापमान में कमी भी आने लगी है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

इसके फलस्वरूप गुजरात के किसानों सौंफ की तेजी से बिजाई किए जाने की खबरें आ रही हैं। हालांकि साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि जीरे की नई फसल की दृष्टि से अभी तापमान थोड़ा ऊंचा बना हुआ है। यदि सब कुछ उम्मीद के अनुरूप रहा तो चालू अक्तूबर महीने के अंत या आगामी नवंबर महीने के आरंभ में जीरे की नई फसल का श्रीगणेश होने का अनुमान है। दूसरी ओर, थोक बाजारों में हाल ही में आई मंदी की वजह से ऊंझा मेंड़ी में जीरे की किसानी आवक फिलहाल करीब 3-4 हजार बोरियों की ही हो रही है। इसके बाद भी ऊंझा में जीरे की कीमत हाल ही में 100-200 रुपए मंदी होकर फिलहाल 10,800/11,200 रुपए प्रति 20 किलोग्राम पर बनी हुई है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में भी लिवाली बढ़ने से जीरा सामान्य 500 रुपए तेज होकर फिलहाल 60,500/61,500 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है।

इससे पूर्व इसमें 2 हजार रुपए की गिरावट आई थी। इसके अलावा आयातक देशों की ऊंझा मंडी में जीरे में सक्रियता का अभाव बना हुआ है। यद्यपि बंगलादेश द्वारा पिछले दिनों थोड़ी खरीद किए जाने की रिपोर्ट मिली थी। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है लेकिन अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के आरंभिक चार महीनों यानी अप्रैल-जुलाई, 2023 में जीरे का 61,697.44 टन का हुआ। इससे 2101.52 करोड़ रुपए की आय हुई। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि में देश से 1370.04 करोड़ रुपए मूल्य के 67,057 टन जीरे का निर्यात हुआ था। आगामी दिनों में जीरे की थोक कीमत पर नई फसल की संभावित बिजाई का असर बना रहने के आसार हैं

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।