प्याज निर्यात को लेकर बड़ी खबर | फिर से बढ़ सकते हैं प्याज के भाव | देखें रिपोर्ट
किसान साथियों हाल ही में प्याज की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव देखा गया है। पहले, प्याज की कीमतें 70 से 80 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास पहुंच गई थीं, जो आम आदमी के लिए भारी बोझ बन गई थी। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों में प्याज की कीमतों में राहत देखने को मिली थी, और यह 63 से 67 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच बिक रही थी। लेकिन अब एक बार फिर से प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना बनती दिख रही है। इस बदलाव के पीछे भारत सरकार द्वारा लिए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसले हैं, जिनका सीधा असर प्याज की कीमतों पर पड़ेगा।
प्याज की कीमतों में वृद्धि
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट से बैन हटा लिया है। पहले, प्याज का एक्सपोर्ट इस स्थिति में था कि विदेशों में प्याज भेजने पर रोक लगा दी गई थी ताकि घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति बनी रहे और कीमतों पर नियंत्रण रहे। अब, बैन हटाने के बाद, विदेशी बाजारों में प्याज की मांग बढ़ सकती है, जिससे घरेलू सप्लाई में कमी हो सकती है और कीमतें बढ़ सकती हैं।
इसके अलावा, एक्सपोर्ट पर लगने वाले शुल्क में भी बदलाव किया गया है। सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट शुल्क को 40% से घटाकर 20% कर दिया है। इसका सीधा असर यह होगा कि प्याज के निर्यातक अब अधिक प्याज विदेश भेजने में रुचि दिखा सकते हैं, क्योंकि उन्हें अब पहले की तुलना में कम शुल्क चुकाना होगा। इसके चलते घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता में कमी आ सकती है, जिससे कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
एक्सपोर्ट की नई व्यवस्था
प्याज को लेकर एक्सपोर्ट की कुछ अच्छे संकेत भी हैं, जिनसे घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों पर राहत मिल सकती है। हाल ही में दिल्ली के किशनगंज रेलवे स्टेशन पर 840 मेट्रिक टन प्याज की एक और रेलगाड़ी पहुंची है। इस प्याज का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली के आजादपुर मंडी में रिलीज किया जाएगा, जहां इसे बड़े पैमाने पर बेचा जाएगा। सरकार की यह पहल उम्मीद जताती है कि इस आपूर्ति से प्याज की खुदरा कीमतें 35 रुपए प्रति किलोग्राम तक गिर सकती हैं। यह कदम खासतौर पर उन उपभोक्ताओं के लिए राहत देने वाला होगा, जो महंगे प्याज की कीमतों से परेशान थे।
सरकार के अन्य फैसले
प्याज के एक्सपोर्ट शुल्क में बदलाव के साथ-साथ, सरकार ने कुछ अन्य कृषि संबंधित फैसले भी लिए हैं, जो कि सीधे तौर पर किसानों के हित में रह सकते हैं। इन फैसलों का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के उचित भाव दिलवाना और कृषि उत्पादों की स्थिर आपूर्ति का ध्यान रखना है। सरकार का पहला अहम फैसला पाम ऑयल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाकर 27.5% करने का था। इस निर्णय का भी मुख्य उद्देश्य यही था कि किसानों को सोयाबीन की सही कीमत मिल सके, क्योंकि पाम ऑयल और सोयाबीन दोनों कृषि उत्पाद हैं और एक-दूसरे से संबंधित हैं।
आपको यह भी जानकर खुशी होगी कि महाराष्ट्र सरकार को केंद्र सरकार ने सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने की अनुमति दे दी है, जिससे किसानों को सोयाबीन की उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा। वर्तमान में सोयाबीन की MSP 4,892 रुपए प्रति क्विंटल है, जो किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य देने का एक कदम है।
अगर सरकार की ये योजनाएं सफल रहती हैं और प्याज की आपूर्ति बढ़ती है, तो संभवतः प्याज के भाव मे मंदी आ सकते है। हालांकि, यह भी ध्यान में रखने की बात है कि एक्सपोर्ट शुल्क में कमी आने के कारण विदेशी बाजारों से मांग बढ़ने पर घरेलू बाजार में प्याज की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं। कुल मिलाकर, आने वाले कुछ महीनों में प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखे जा सकते हैं, इन सरकार के प्रयासों से स्थिति बेहतर हो सकती है
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।