इजरायल और हमास की लड़ाई पर क्या है नई अपडेट | लाल सागर रूट की खबर और बासमती के भाव पर इसका क्या होगा असर?

 

किसान साथियो इजरायल और हमास की लड़ाई को बंद कराने के लिए रविवार, सोमवार और मंगलवार को चली, यह बातचीत बेनतीजा या फिर यूँ कह सकते है कि फेल साबित हुई है। इस समय इजरायल हमास को और हमास इजरायल को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। दरअसल दोनों ही पक्ष अपनी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं इसलिए समझौते को लेकर कोई बात नहीं बन पा रही। हमास ने कहा है कि जब तक पूर्ण युद्ध विराम की बात नहीं मान ली जाती तब तक वह बंधकों को रिहा नहीं कर सकता। इसी तरह से इजराइल ने कहा है कि जब तक वह ये लड़ाई जीत नहीं जाये तब तक पूर्ण युद्ध विराम नहीं हो सकता। जब किसी को किसी की शर्ते माननी ही नहीं हैं तो फिर ये बातचीत का नाटक क्यों। इस समय जो लोग भूख और गरीबी से मर रहे हैं उनकी किसी को चिंता नहीं है। सबको अपने अपने एजेंडे को ठीक रखना है। चूंकि हुति संगठन जहाजों पर हमले कर रहे हैं इसलिए अमेरिका और ब्रिटेन को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है इसलिए ये देश  चाहते हैं कि लड़ाई रुक जाए लेकिन जब कथनी और करनी की बात आती है तो सबका दोगलापन सामने आ जाता है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

दोहरी मानसिकता आ रही आड़े
आप खुद ही सोचिए एक तरफ तो अमेरिका गाज़ा में राशन, दवाइयां और अन्य राहत सामग्री भेज रहा है। दूसरी तरफ वह हमले करने के लिए जरूरी हथियार इजरायल को सप्लाई कर रहा है। अब आप इसे क्या कहेंगे। अमेरिका अकेला नहीं है ऐसे बहुत सारे  देश हैं जो इसी तरह की कार्रवाइयों में लिप्त हैं। सबको अपनी-अपनी जनता को जवाब देना है और वे मरते हुए लोगों के लिए नहीं ब्लकि अपने देश की जनता के लिए जवाबदेही रखते हैं।

लाल सागर रूट को लेकर क्या है अपडेट
किसान साथियो लाल सागर रूट पर तनाव लगातार बना हुआ है। ब्रिटेन और अमेरिका की लाख कोशिशों के बाद भी जहाजों पर हमले रुक नहीं पाए है। हुति संगठन ने कुछ दिन पहले ब्रिटेन के रूबीमार नामक एक जहाज को डूबा दिया  इसके अलावा एक और जहाज पर कल ही मिसाइल से हमला किया है। संगठन ने अपनी कसम को दोहराया कि जब तक इजरायल फिलिस्तीन पर हमले नहीं रोकता है तब तक लाल सागर रूट पर जहाजों पर हमले जारी रहेंगे। फिलहाल यहां से कोई अच्छी खबर सामने नहीं आयी है। बात भारत की करें तो यहाँ पर इजरायल और हमास की लड़ाई से बासमती के बाजार को लगातार नुकसान हो रहा है। समुद्री रास्ते पर हुति संगठन के हमलों के डर से जहाजों के किराये बढ़े हुए हैं। ये इतने ज्यादा हैं कि बासमती को निर्यात करना निर्यातकों के पड़ते से बाहर हो गया है। अब नुकसान में तो कोई माल भेजने से रहा। इसलिए सभी यह लड़ाई खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। बासमती चावल का गोदाम स्टॉक बढ़ गया है इसलिए भाव लगातार नीचे जा रहे हैं।

बासमती के बाजार में क्या हैं खबरें
किसान साथियो चूंकि यह लड़ाई काफी लंबी खिंच चुकी है और लाल सागर का रास्ता काफी दिनों से बंद है ऐसे में अब इसके वैकल्पिक रास्ते पर जहाजों की आवाजाही ने स्पीड पकड़ ली है। केप ऑफ गुड होप के जरिए जहाज माल लेकर जा रहे हैं। बढ़े हुए किराये अभी भी एक समस्या बने हुए हैं। बासमती निर्यात के लिए यह जरूरी हो गया कि बढ़े हुए किराये को भाव बढ़ाकर एडजस्ट किया जाए। इसके लिए बातचीत चल रही है। चूंकि मार्च अप्रैल में सबसे ज्यादा चावल निर्यात होता है इसलिए उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही इस पर कुछ ना कुछ सामने आ सकता है।

ताजा मार्केट अपडेट
जहां तक बासमती के बाजार की बात है बासमती की बाजार में असमंजस की स्थिति है। 1121 और 1718 के धान के भाव एक सीमित रेंज में आकर फस गए हैं। जबकि PB1 और 1401 के भाव लगातार धराशायी हो रहे हैं। यहां से आगे बाजार किस तरफ जाएंगे यह कोई नहीं बता सकता। इस समय बासमती के बाजार में भाव सीज़न की शुरुआत वाले चल रहे हैं। मंगलवार के बाजार की बात करें तो धान 1121 में 4500 तक के उपर में भाव फिर से मिलने लगे हैं। जुलाना, गोहाना, नजफगढ़ मंडियों में 1121 के 4500 रुपये तक बिकने के समाचार मिलें हैं। यह भाव सीज़न के टॉप भाव से लगभग 400 रुपये कम है। जबकि 1718 में यह उपर की 4225 से 4250 तक देखने को मिली है। MP में किसानों को PB1 के भाव उपर में 3650 और 1886 में 4100 के आसपास के भाव मिले हैं। इसके अलावा 1509 में भी ठीक ठाक ग्राहकी देखने को मिल रही है।

आढ़तियों और व्यापारियों के अनुसार बाजार के इन स्तरों से नीचे जाने की संभावना कम है। कुछ व्यापारियों का कहना है कि मार्च के महीने में बासमती के भाव सुधर सकते हैं लेकिन इसके लिए जहाजों की आवाजाही सुचारू रूप से चलनी चाहिए। पिछले दो हफ्तों से PB1 और 1401 धान MP में भारी आवक के चलते लगातार कमजोर हो रहे हैं। मीडिया में खबरें हैं कि इस साल पिछले से से 10% तक ज्यादा उत्पादन हुआ है। जहां तक बाजार के नीचे जाने की बात है PB1 में 3500 और 1121 में 4300 के आसपास मजबूत सपोर्ट मिल रही है। 1718 में 4000 के भाव में अच्छी ग्राहकी बतायी जा रही है।

रोके या बेचे
 दोस्तो आगे की जहां तक बात है बासमती के भाव में एकाएक बड़ी तेजी तो केवल तब दिख सकती है जब जहाजों की आवाजाही बे रोकटोक के होगी। हमारा मानना है कि ऐसा कोई भी एनालिस्ट नहीं है जो यह बता सके कि कब तक जहाज लाल सागर से आ जा सकेंगे। तो दोस्तो इससे पहले यदि किसी छोटी मोटी खबर से बाजार उपर की तरफ जाता है तो जिन किसानों को पैसे की जरूरत पड़ने वाली है यह जिनके माल का भंडारण सही नहीं है उन्हें निकलने के बारे में सोचना चाहिए। किसान साथियो हम मानते हैं कि इस समय बासमती का अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित चल रहा है। लेकिन चावल एक खाद्य सामग्री है और आज नहीं तो कल सभी देशों को इसकी जरूरत पड़ने वाली है। ऐसे में संभावना है कि जो देश बासमती का आयात करते हैं देर सवेर वे आयात तो करेंगे ही। बासमती चावल केवल भारत और पाकिस्तान के पास ही होता है। इसलिए कोई अन्य विकल्प भी नहीं है। गौरतलब है कि पिछले साल ईरान ने साल 2023 में 2022 के मुकाबले कम बासमती खरीदा था। संभावना है कि वह इस साल पिछली कमी की भरपाई के लिए ज्यादा माल ले। जो सक्षम किसान हैं और जिन्हें आने वाले समय में पैसे और जगह की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ने वाली है वे चाहें तो इतने कम भाव में अपना माल बेचने की बजाय रोक भी सकते हैं। यहां एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बासमती में तेजी तभी बनेगी जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति बहाल हो जाए। जो किसान साथी माल को कम रेट पर नहीं निकालना चाहते है उन्हें लड़ाई रुकने का इंतजार करना पड़ेगा और यह इंतज़ार काफी लंबा हो सकता है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।