असमंजस की स्थिति बानी हुई है उबले हुए बासमती चावल की खेप को लेकर | देखे पूरी खबर क्या है

 

किसान साथियो सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों द्वारा 25 जनवरी को दिए गए नोटिस के बाद उबले हुए रूप में निर्यात किए गए बासमती चावल के लगभग 30-40 कंटेनर कुछ दिनों से इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) में अटके हुए हैं। विभाग ने कहा कि चावल की सभी किस्मों के शिपमेंट के लिए निर्यात की अनुमति देने से पहले सैंपलिंग और टेस्टिंग अनिवार्य होगी। भ्रम की स्थिति पैदा हो जाने के बाद कृषि निर्यात संवर्धन निकाय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के हस्तक्षेप के बाद तीन दिन में समस्या का समाधान किया जा सका।

साथियो अधिकारियों ने बताया कि कृपया सैंपल लेने के बाद कस्टम हाउस की प्रयोगशाला से 48 घंटों के भीतर परीक्षण की रिपोर्ट प्राप्त हो जानी चाहिए । उद्योग के सूत्रों प्राप्त जानकारी के अनुसार लुधियाना में हितधारकों द्वारा सीमा शुल्क अधिकारियों को वास्तविकता समझाने के बाद मामला फिर से सुलझ गया है। सर्कुलर को संशोधित करके सभी खेपों से अनियोजित तरीके से नमूने लिए जा सकते हैं, लेकिन विवादास्पद नोटिस को संशोधित किया गया है या रद्द कर दिया गया है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। उद्योग जगत के अधिकारियों व निर्यातकों ने कहा कि पहली बार में ऐसा नहीं होना चाहिए था। पंजाब मिलर्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने कस्टम अधिकारियों के सामने सही स्थिति स्पष्ट करने के लिए एपीडा के सामने यह मुद्दा उठाया।

साथियो उद्योग के अग्रणी व्यक्तियों ने बताया कि भारत का करीब 80 प्रतिशत बासमती चावल का निर्यात मिडिल-ईस्ट के देशों को किया जाता है जिसमें से करीब 90 प्रतिशत पारबोइल्ड अवस्था में होता है। पंजाब मुख्य रूप से बासमती चावल का निर्यात कांडला तथा मुन्द्रा बंदरगाह से करता है, जबकि विशाखापत्तनम बंदरगाह से गैर-बासमती चावल का निर्यात किया जाता है। 26 जनवरी से छुट्टियाँ होने के कारण निर्यातक टेस्टिंग नहीं करा सके, जिससे कंटेनर इकट्ठे होते चले गए। जहां कुछ निर्यातकों ने कहा कि 30-40 कंटेनर फंस गए हैं, वहीं एक उद्योग संघ के निदेशक ने दावा किया कि तीन दिनों में लगभग 200 कंटेनर फंस गए हैं। पंजाब राइस मिलर्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने इस मामले को एपीडा के समक्ष उठाया, जिसके बाद एपीडा ने कार्रवाई करते हुए सीमा शुल्क अधिकारियों से संपर्क किया और सही स्थिति बताई।

साथियो एक निर्यातक ने डीजीएफटी अधिसूचना का हवाला देते हुए बताया कि सरकार ने उबले हुए गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया है, न कि उबले हुए बासमती चावल पर। निर्यातकों ने आरोप लगाया कि लुधियाना स्थित सीमा शुल्क प्राधिकरण ने पंजाब में इसकी उपयोगिता की पुष्टि किए बिना विशाखापत्तनम डिवीजन में जारी एक समान परिपत्र का पालन किया था। निर्यातकों ने कहा कि किसानों ने अपनी लगभग पूरी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार को बेच दी थी, अतः पंजाब से गैर-बासमती चावल के निर्यात की कोई व्यवहार्यता नहीं है। इस समय गैर-बासमती पारबोइल्ड राइस के फी ओन बोर्ड (एफओबी) मूल्य (425 डॉलर प्रति टन+शुल्क) तथा न्यूनतम निर्यात मूल्य (950 डॉलर प्रति टन) के बीच काफी अंतर है। निर्यातक ने कहा कि 48 घंटों में लैब परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त करना संभव नहीं है, क्योंकि लुधियाना और निकटतम दिल्ली में कोई कस्टम लैब उपलब्ध नहीं है।

साथियो इस समय निर्यात सौदे बासमती प्रजाति के चावल के पेंडिंग में पड़े हुए हैं, लेकिन निर्यातक, समुद्री मार्ग डिस्टर्ब चलने से शिपमेंट करने से पीछे हट रहे हैं। दूसरी ओर सरकार चावल की तेजी को संज्ञान में रखते हुए जमाखोरी नहीं करने का व्यापारियों को निर्देश दिया है, इस वजह से पिछले एक पखवाड़े से नरमी का रूख बना हुआ है। हालांकि मिलिंग पड़ता महंगा होने से मंदे के बाद बाजार ठहर गए हैं, लेकिन घरेलू एवं निर्यात दोनो ही मांग अनुकूल नहीं होने से अभी कुछ दिन तेजी नहीं लग रही है, जबकि मोटे चावल में बिहार बंगाल झारखंड एंड छत्तीसगढ का माल लगातार मंडियों में आने से आगे चलकर मंदा आ जाएगा। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।