बासमती चावल को लेकर भारत और पाकिस्तान आए आमने सामने | जाने कितना कड़ा है मुकाबला | देखे इस रिपोर्ट में

 

किसान साथियो बासमती चावल की खेती मुख्य रुपये प्रति क्विंटल से भारतीय उप महाद्वीप के सिंधु गंगा के मैदान में की जाती है। पाकिस्तान और भारत के बीच बासमती के पेटेंट को लेकर अक्सर खींचतान होती रहती है। हाल ही में पाकिस्तान ने विश्व - व्यापार के प्रति अपने चिर-प्रतीक्षित दायित्वों का आंशिक निर्वाह करते हुए बासमती चावल की विशिष्टताओं को बताने की कोशिश की है। लेकिन इससे सबसे बड़े बासमती उत्पादक देश भारत के साथ कुछ विवादित परिस्थितियां पैदा हो गईं हैं। यूरोपियन यूनियन, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान द्वारा दी गई उसके बासमती चावल की परिभाषा पर भारत को ऐतराज़ है, क्योंकि बासमती राइस के उत्पादक- क्षेत्रों के संबंध में कुछ विरोधाभास है। पाकिस्तान ने बासमती उत्पादन के क्षेत्रों के रूप में जो नाम दर्शाये हैं, वे पुंछ, बाग़, मीरपुर व भिम्बर स्पष्टतः भारतीय क्षेत्र हैं । इस प्रकार पाकिस्तान ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत के साथ टकराव को न्योता दिया है। दरअसल इसमें केवल जम्मू, कठुआ और साम्बा क्षेत्र ही शामिल हैं। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करे

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साथियो बासमती चावल एक महंगा चावल है जो कि ज्यादातर निर्यात किया जाता है। अरब देशों से लेकर यूरोपीय देश इसे चाव से खरीदते हैं। भारत ने बासमती का GI टैग लिया हुआ है। बासमती GI टैग का मतलब यही है कि यह चावल GI टैग में परिभाषित क्षेत्र में ही पैदा होता है। भारत चाहता है कि अन्य जगहों पर पैदा किए गए समान क्वालिटी के चावल को बासमती नहीं माना जाना चाहिए। जबकि पाकिस्तान का दावा है कि बासमती पाकिस्तान में विकसित चावल है। एस. चंद्रशेखरन द्वारा लिखित पुस्तक 'बासमती राइस: द नेचुरल हिस्ट्री ज्योग्राफिकल इंडिकेशन' में इस बात की पुष्टि की गई है कि पाकिस्तान का दावा समसामयिक परिस्थितियों पर आधारित है। उसने अपने इस दावे की पुष्टि के लिए आवश्यक तथ्यात्मक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए हैं। पुस्तक में स्पष्ट किया गया है कि बासमती राइस की इस परिभाषा में टकराव का मुख्य मुद्दा सिंधु-गंगा का मैदान तथा असन्निहित परिसीमन है । कहने का मतलब यही है कि इस क्षेत्र की सीमाओं का सही उल्लेख करना मुश्किल है।

 भारतीय बासमती राइस के उत्पादक- क्षेत्रों की तुलना में पाकिस्तानी बासमती राइस के उत्पादक क्षेत्रों की परिभाषा काफी विवादित है। दरअसल, बासमती राइस का उत्पादन भारतीय उपमहाद्वीप के विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र सिंधु-गंगा के मैदान में किया जाता है। भारत के अनुसार बासमती राइस एक विशिष्ट लम्बाई वाला सुगन्धित चावल है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के खास भौगोलिक क्षेत्र में पैदा किया जाता है। यह क्षेत्र भारत के उत्तरी भाग में स्थित हिमालय की तलहटी में सिंधु - गंगा के मैदान में पड़ता है। चंद्रशेखरन ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा दी गई बासमती की परिभाषा के अनुसार सिंधु-गंगा का मैदान खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) है, जो कि बासमती का उत्पादक- क्षेत्र हो ही नहीं सकता। क्योंकि, सिंधु-गंगा का मैदान पाकिस्तान के केवल पूर्वी भाग में पड़ता है। इस प्रकार खैबर पख्तूनख्वा को शामिल करना एक विवादित स्थिति को पैदा करने के अलावा और कुछ भी नहीं है। पाकिस्तानी व्यापार विकास प्राधिकरण ने दो सप्ताह पहले बासमती राइस पर एक संशोधित स्पष्टीकरण दिया था कि भारत द्वारा यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया व कुछ अन्य देशों को दिए गए भौगोलिक संकेतों के कारण पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान दबाव का सामना कर रहा है। यूरोपियन यूनियन भारत द्वारा दिए गए जीआई टैग से पीछे हट रहा है, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तानी चावल उत्पादन को संकेत करके भारतीय दावे को नकार दिया है। हालांकि, ईयू व अन्य पश्चिमी देशों ने भारत से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तान के साथ एक संयुक्त जीआई टैग जारी करे, लेकिन भारत अपने दावे पर अटल है। उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार पाकिस्तान ने अपने जीआई टैग में जिन क्षेत्रों को दर्शाया है, वे बासमती चावल के उत्पादक-क्षेत्रों से लगभग 350 - 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं ।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।