बासमती चावल को लेकर आई बड़ी अपडेट | बासमती को ट्रेडमार्क का दर्जा देने से न्यूजीलैंड सरकार ने किया इनकार

 

किसान साथियो न्यूजीलैंड ने भारत के बासमती चावल को ट्रेडमार्क का दर्जा देने से इनकार कर दिया है। न्यूजीलैंड में यह ट्रेडमार्क उसी प्रकार है जैसे भारत में जीआई टैग दिया जाता है। न्यूजीलैंड का तर्क है कि भारत जिस बासमती चावल के लिए ट्रेडमार्क की मांग कर रहा है, वही सुगंधित बासमती चावल अन्य कई देशों में भी उगाया जाता है। दरअसल, इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी ऑफिस ऑफ न्यूजीलैंड (IPONZ) ने भारत के बासमती चावल को सर्टिफिकेशन देने से मना कर दिया है। IPONZ का कहना है कि भारत के बाहर भी कई देशों में यह सुगंधित चावल उगाया जाता है और इन देशों की ट्रेडमार्क की मांग भी उचित है।

इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत की ऐसी ही एक मांग को खारिज कर दिया था। 2023 में ऑस्ट्रेलिया से बासमती चावल को जीआई टैग देने की मांग की गई थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने इसे अस्वीकार कर दिया। ऑस्ट्रेलिया में आईपी ऑस्ट्रेलिया संस्था जीआई टैग देने का कार्य करती है। इस संस्था ने भारत के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सुगंधित बासमती चावल केवल भारत में ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों में भी उगाया जाता है।

क्या है ये बासमती चावल ट्रेडमार्क का पूरा मामला
साथियो एपीडा भारत से निर्यात को प्रमोट करने और जीआई रजिस्ट्रेशन का ध्यान रखने का काम करती है। एपीडा ने न्यूजीलैंड में बासमती के लिए ट्रेडमार्क का आवेदन दिया था, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। भारत ने बासमती की गुणवत्ता को बनाए रखने और उसकी पहचान के संरक्षण के लिए ट्रेडमार्क की मांग की थी। इस पर इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी ऑफिस ऑफ न्यूजीलैंड (IPONZ) ने तर्क दिया कि भारत ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किए, वही साक्ष्य पाकिस्तान ने भी दिए हैं और उसने भी ट्रेडमार्क की मांग की है। हालांकि, पाकिस्तान की मांग को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और अतिरिक्त साक्ष्य मांगे गए हैं।

पिछले कई दशकों से भारत ने बासमती चावल की उत्कृष्टता को दुनिया भर में साबित किया है, लेकिन इसे ग्लोबल ट्रेडमार्क या जीआई टैगिंग के रूप में मान्यता दिलाने के लिए अब भारत को अपनी रणनीति की पुनरावलोकन की आवश्यकता है। इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि पहले ऑस्ट्रेलिया ने भारत के इस आग्रह को ठुकरा दिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब विदेशों में अपने बासमती चावल के लिए जीआई टैग मांगने से पहले यह स्पष्ट कर लेना चाहिए कि उसने इसे सदीयों से उगाया है, जबकि पाकिस्तान में इसका इतिहास कुछ ही दशकों से है।

कोर्ट में अपील करेगा भारत
साथियो न्यूजीलैंड द्वारा ट्रेडमार्क आवेदन को ठुकराए जाने के बाद यह संभावना बढ़ गई है कि यह मामला अदालत में जाएगा। इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया में बासमती का मुद्दा वहां के फेडरल कोर्ट तक पहुंच चुका है। फरवरी 2023 में वहां की अदालत में मुकदमा दायर हुआ था और तब से यह विचाराधीन है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से पहले यूरोपियन यूनियन भी भारत के बासमती को जीआई टैग देने से इनकार कर चुका है।

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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।