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गेहूं की सरकारी बिक्री का भाव पर क्या हो रहा है असर | जाने OMSS की अपडेट में

गेहूं की सरकारी बिक्री का भाव पर क्या हो रहा है असर | जाने OMSS की अपडेट में
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किसान साथियो भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा गुरुवार को आयोजित खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत गेहूं की ई-नीलामी में पिछले सप्ताह की तुलना में गेहूं की कीमतों में काफी गिरावट देखी गई। इस बार गेहूं 475 रुपये प्रति क्विंटल तक सस्ता बिका है। हालांकि, सरकार ने इस सप्ताह भी कुल एक लाख टन गेहूं की नीलामी के लिए रखा था, लेकिन राज्यों के बीच आवंटन की मात्रा में कुछ बदलाव किए गए हैं। सरकार ने हाल ही में खाद्यान्न आवंटन में कुछ बदलाव किए हैं। इस नए आवंटन के अनुसार, ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, असम, बिहार, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को आवंटित खाद्यान्न की मात्रा में कुल 10,700 टन की वृद्धि की गई है। इसका मतलब है कि इन राज्यों को पहले की तुलना में अधिक खाद्यान्न दिया जाएगा। दूसरी ओर, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पूर्वोत्तर क्षेत्र जैसे राज्यों को आवंटित खाद्यान्न की मात्रा में उतनी ही कमी की गई है जितनी इन अन्य राज्यों को बढ़ाई गई है। यानी इन राज्यों को अब पहले की तुलना में कम खाद्यान्न मिलेगा।

उत्तर प्रदेश में क्या मिल रहा है गेहूं का रेट
देश के अधिकांश राज्यों में गेहूं की नीलामी में उच्चतम बोली मूल्य में गिरावट देखी गई है। हालांकि, उत्तर प्रदेश एक अपवाद रहा जहां इस बार गेहूं का उच्चतम बिक्री मूल्य पिछली बार की तुलना में तीन रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गया। अन्य राज्यों में गिरावट की दर अलग-अलग रही है। तेलंगाना में यह गिरावट सबसे अधिक 475 रुपये प्रति क्विंटल रही, जबकि असम में यह 71 रुपये प्रति क्विंटल रही। पंजाब, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी क्रमशः 150 रुपये, 154 रुपये और 169 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई। छत्तीसगढ़ में भी गेहूं के दाम में 300 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आई है। वहीं, जिन राज्यों में गेहूं की पेशकश कम हुई है, वहां उच्चतम बोली मूल्य में 20 से 99 रुपये प्रति क्विंटल के बीच मामूली वृद्धि देखी गई है। यह स्पष्ट है कि अधिकांश राज्यों में गेहूं के दाम में गिरावट आई है, जिसका कारण मांग और आपूर्ति में बदलाव हो सकता है।

क्या कहना है पंजाब फ्लोर मिलर्स का
पंजाब फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के एक पूर्व अध्यक्ष ने सरकार से पंजाब के लिए गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि राज्य में गेहूं की कमी है और मिलर पूरी तरह से एफसीआई गेहूं पर निर्भर हैं। साथ ही, उन्होंने मांग की है कि राज्य में नीलामी मार्च के अंत तक जारी रखी जाए। हाल ही में हुई ई-नीलामी में 99,465 टन अनाज बेचा गया है, जो पिछले कुछ नीलामियों के मुकाबले अच्छा है। इस नीलामी में 23 राज्यों में से 14 राज्यों ने 100% गेहूं उठाया है, जो एक सकारात्मक संकेत है। खाद्य मंत्रालय ने ओएमएसएस नीति के तहत गेहूं के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया है, लेकिन राज्यों में प्रत्येक डिपो के लिए यह मूल्य अलग-अलग है, क्योंकि इसमें परिवहन लागत और मंडी कर शामिल किए जाते हैं।

सरकार ने तय किए नए नियम
सरकार ने इस साल ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की खरीद के लिए कुछ नए नियम बनाए हैं। इन नए नियमों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो कंपनियां पहले से ही गेहूं का पर्याप्त स्टॉक रख रही हैं, उन्हें इस योजना का लाभ न मिले। अब, ओएमएसएस के तहत गेहूं खरीदने के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों को यह घोषणा करनी होगी कि उनके पास अपनी मासिक प्रसंस्करण क्षमता से अधिक गेहूं का स्टॉक नहीं है। यह जानकारी WSMS पोर्टल पर उपलब्ध साप्ताहिक गेहूं स्टॉक घोषणा के आधार पर सत्यापित की जाएगी। खाद्य मंत्रालय ने 27 नवंबर को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को निर्देश दिया था कि वह 31 मार्च, 2025 तक आटा मिलों और गेहूं उत्पादों के अन्य निर्माताओं, प्रोसेसर और अंतिम उपयोगकर्ताओं को ई-नीलामी के माध्यम से 25 लाख टन गेहूं बेचे। इस कदम का उद्देश्य बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ाकर कीमतों को स्थिर रखना है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।