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प्याज के बाजार में पाकिस्तान और चीन का बढ़ रहा दबदबा | जाने भारत पर इसका असर

प्याज के बाजार में पाकिस्तान और चीन का बढ़ रहा दबदबा | जाने भारत पर इसका असर
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किसान साथियों जब भी किसान अपनी उपज मंडियों में बेचने के लिए लाते हैं, तो बाजार में अधिक मात्रा में आपूर्ति होने पर कीमतों में गिरावट आना स्वाभाविक है। प्याज की खेती करने वाले किसानों के साथ यह समस्या बार-बार सामने आती है।फिलहाल तो महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, और राजस्थान जैसे राज्यों में हाल ही में प्याज की बंपर आवक देखी गई है। ठंड बढ़ने के साथ, इन राज्यों के अलावा दक्षिण कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से भी बड़ी मात्रा में प्याज मंडियों में आ रहा है। लासलगांव, पुणे, सोलापुर और छत्रपति संभाजीनगर जैसे प्रमुख बाजारों में आवक इतनी अधिक हो गई है कि घरेलू मांग की तुलना में आपूर्ति कहीं ज्यादा हो चुकी है। इसी कारण प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आ गई है।

महाराष्ट्र के नासिक जिले की मंडियों में प्याज की बड़ी मात्रा में आवक हो रही है। अकेले लासलगांव मंडी में एक दिन में 45 से 50 हजार क्विंटल प्याज आ रहा है। दिसंबर के पहले पखवाड़े में प्याज की औसत कीमत 3800 रुपये प्रति क्विंटल थी, लेकिन 24 दिसंबर तक यह घटकर 1525 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। इस गिरावट से किसानों को रोजाना करोड़ों का नुकसान हो रहा है। जब औसत कीमत 3800 रुपये थी, तो मंडियों में एक दिन में 17 करोड़ का कारोबार होता था, जबकि अब यह घटकर लगभग 8 करोड़ तक सीमित रह गया है।

लेट खरीफ प्याज की बंपर आवक
इस वर्ष लेट खरीफ प्याज की बंपर आवक भी एक बड़ी वजह है। दिसंबर 2023 में मंडियों में लगभग 2 लाख 13 हजार क्विंटल लाल प्याज आया, जबकि ग्रीष्मकालीन प्याज की आवक मात्र 67 हजार क्विंटल थी। इस वर्ष 24 दिसंबर तक यह आंकड़ा 6 लाख 77 हजार क्विंटल तक पहुंच गया। ग्रीष्मकालीन प्याज की औसत कीमत 4200 रुपये थी, लेकिन अब न्यूनतम कीमत मात्र 700 रुपये और अधिकतम 1725 रुपये रह गई है। इससे स्पष्ट है कि मंडियों में प्याज की मात्रा बढ़ने से कीमतें स्थिर नहीं रह पा रही हैं।

पाकिस्तान और चीन के प्याज का बढ़ता दबदबा
भारतीय प्याज के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया गया है, जिससे खाड़ी देशों में भारतीय प्याज की मांग कम हो गई है। इन देशों में अब पाकिस्तान और चीन के प्याज का दबदबा बढ़ गया है क्योंकि वहां से बिना किसी निर्यात शुल्क के प्याज बेचा जा रहा है। पाकिस्तान की सिंध क्षेत्र में इस साल प्याज की बंपर फसल हुई है, और वहां के किसान पिछले साल निर्यात से हुए मुनाफे के कारण इस बार उत्पादन में और तेजी लाए। खाड़ी देशों में भारतीय प्याज महंगा पड़ने के कारण अब पाकिस्तान का प्याज अधिक खरीदा जा रहा है, जो भारतीय किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।

निर्यात शुल्क में छूट
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार प्याज पर लगे 20% निर्यात शुल्क को कम कर दे, तो भारतीय प्याज की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ सकती है। इसके लिए समय पर कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि यदि आवक की स्थिति अधिक बिगड़ गई, तो निर्यात शुल्क घटाने का कोई फायदा नहीं होगा। सरकार को न केवल निर्यातकों को प्रोत्साहित करना चाहिए, बल्कि बाजार में स्थिरता लाने के लिए सही समय पर नीति लागू करनी चाहिए।

मंडी मे आज क्या रहे प्याज के भाव
आजादपुर मंडी और इंदौर मंडी में प्याज की कीमतों में विभिन्न किस्मों और गुणवत्ता के आधार पर उतार-चढ़ाव देखा गया। आजादपुर मंडी में प्याज की कीमतें 600 रुपये मन से लेकर 1000 रुपये मन तक रही, जिसमें 15 किलो से 25 किलो तक के प्याज शामिल थे। सरकारी माल, विशेष रूप से नासिक का हल्का माल 12-13 रुपये प्रति किलो के आसपास बिक रहा था, जबकि अच्छी क्वालिटी का प्याज 15-20 रुपये प्रति किलो तक पहुँच रहा था। पुणे से आने वाले प्याज की कीमतें 1000-1200 रुपये मन तक जा रही थीं, जबकि अलवर क्षेत्र के माल की कीमतें भी 15-25 किलो के हिसाब से निर्धारित हो रही थीं।

इंदौर मंडी में आज एक विशेष लॉट 184 कट्टों का बहुत अच्छे भाव 28 रुपये प्रति किलो में बिका, जो इतनी उच्च गुणवत्ता का था कि इस तरह की क्वालिटी और कीमत पहले कभी नहीं देखी गई। हालांकि, अन्य लॉट्स 15 से 20 रुपये प्रति किलो के आसपास बिक रहे थे।