सट्टेबाजी के शिकार हो रहे ग्वार के किसान | जाने ग्वार के बाजार से क्या मिल रही है रिपोर्ट
किसान साथियो ग्वार की इसे अनोखी फसल इसलिए माना जाता है क्योंकि इसका भाव बहुत तेज गति से उपर नीचे होता है और इसके भाव की रेंज 4000 से लेकर 32000 तक जाती है इन दिनों बाजार में सट्टेबाजी के कारण एक गंभीर संकट से गुजर रही है। यह फसल न केवल किसानों की आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बल्कि देश के औद्योगिक उपयोग और निर्यात में भी अहम भूमिका निभाती है। लेकिन वर्तमान हालात ने किसानों और व्यापारियों दोनों को असमंजस में डाल दिया है।
ग्वार का फंडामेंटल मूल्य और सट्टेबाजी का खेल
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ग्वार सीड का मौजूदा बाजार मूल्य 7,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक होना चाहिए। लेकिन सट्टेबाजों और उससे जुड़े गिरोह ने बाजार पर अपना नियंत्रण जमा रखा है जिसके कारण भाव में स्थिरता नहीं है। फंडामेंटल यानी मांग और आपूर्ति के आधार पर भाव तय होना चाहिए, लेकिन सट्टे के कारण यह समीकरण अस्थिर हो गया है। जाने-माने कृषि विशेषज्ञ एडवोकेट श्रीपाल सारस्वत ने इस स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्वार सहित कृषि की अन्य जिंसें भी मंदी की चपेट में हैं। हालांकि ग्वार के बाजार की स्थिति ज्यादा चिंता का विषय बना हुआ है। उनका कहना है कि ग्वार उत्पादों जैसे चूरी, कोरमा और ग्वार गम के निर्यात में कोई कमी नहीं है। इसके बावजूद भी सट्टेबाजी के कारण फंडामेंटल कारक काम नहीं कर रहे हैं और बाजार में वास्तविक भाव का प्रतिबिंब नहीं दिख रहा।
ग्वार के उत्पादन में आई गिरावट
लगातार ग्वार के भाव की हो रही पिटाई के कारण अब किसान ग्वार की फ़सल से मुँह मोड़ने लगे हैं। यही वज़ह है कि इस सीज़न में ग्वार का उत्पादन घट गया है। हैरानी की बात यह है कि उत्पादन घटने के बावजूद ग्वार के भाव में सुधार देखने को नहीं मिल रहा। ग्वार का उत्पादन इस साल 22 से 25 लाख बोरी तक कम हुआ है। यह गिरावट नहरी और बिरानी दोनों क्षेत्रों में देखी गई है। श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और हरियाणा के नहरी क्षेत्रों में उत्पादन लगभग आधा रह गया है। इसी तरह, बीकानेर और जैसलमेर के बिरानी क्षेत्रों में भी उत्पादन में भारी गिरावट आई है। गुजरात, जो ग्वार का एक और प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है वहां भी स्थिति बेहतर नहीं है। उत्पादन में गिरावट के बावजूद किसानों को काम भाव में अपनी मजबूरी में ग्वार बेचना पड़ रहा है। उनकी मजबूरी की बात करे तो उनके घरों में शादी-ब्याह का खर्च है या फिर आगामी फसलों की तैयारी करनी है। इस स्थिति को देख कर सट्टेबाजों द्वारा फायदा उठाया जा रहा है जिससे बाजार में मंदी का माहौल बन गया है।
क्या रही ग्वार की आवक
देश के प्रमुख राज्यों में 03 दिसंबर 2024 को ग्वार की कुल आमदनी 56,800 क्विंटल रही, जिसमें नया ग्वार 55,000 क्विंटल और पुराना ग्वार 1,800 क्विंटल शामिल है। ग्वार की आमदनी और भाव पर एक नजर डालते हैं:
श्रीगंगानगर: 5,600 क्विंटल (सिर्फ नया)
हनुमानगढ़: 6,600 क्विंटल (नया 6,400, पुराना 200)
हरियाणा: 4,450 क्विंटल (नया 3,850, पुराना 600)
नागौर: 7,150 क्विंटल (नया 7,050, पुराना 100)
बीकानेर: 9,150 क्विंटल (नया 8,950, पुराना 200)
बाड़मेर: 5,900 क्विंटल (नया 5,700, पुराना 200)
गुजरात: 6,250 क्विंटल (नया 5,750, पुराना 500)
क्या चल रहे है ग्वार के भाव
किसान साथियो ग्वार के भाव की बात करे तो राजस्थान की पूगल अनाज मंडी में ग्वार रेट 4400 से 4900 रुपए चल रहा है और गजसिंहपुर मंडी में ग्वार रेट 4625 से 5025 रुपए, श्री गंगानगर मंडी में ग्वार रेट 4700/4941 रुपए, बीकानेर अनाज मंडी में ग्वार रेट 4800 से 4981 रुपए, रायसिंहनगर अनाज मंडी में ग्वार नया रेट 4800 से 4980 रुपए, दादरी मंडी में आज ग्वार रेट 4600 से 4700 रुपए, श्रीकरणपुर मंडी में आज ग्वार रेट 4600 से 4926 रुपए, रावतसर मंडी में ग्वार भाव 4690 से 4900 रुपए, श्री विजयनगर मंडी में ग्वार रेट 4765/5010 रुपए, हनुमानगढ़ टाऊन में ग्वार रेट 4500/4891 रुपए, खाजूवाला मंडी में ग्वार रेट 4775 से 4850 रुपए, अनूपगढ़ मंडी में ग्वार रेट 4500/4985 रुपए, मेड़ता मंडी में ग्वार रेट 4631/4881 रुपए, सादुल शहर मंडी में ग्वार रेट 4600 से 4840 रुपए, संगरिया मंडी में ग्वार रेट 4005/4750 रुपए, पीलीबंगा मंडी में ग्वार रेट 4811/4830 रुपए, जैतसर मंडी में ग्वार रेट 4600 से 5000 रुपए, घड़साना मंडी में ग्वार रेट 4600/4900 रुपए, सूरतगढ़ मंडी में ग्वार रेट 4651/4897 रुपए। हरियाणा के मंडियों की बात करे तो हरियाणा की नोहर अनाज मंडी में ग्वार रेट 4760/4850 रुपए है और ऐलनाबाद मंडी में ग्वार रेट 4200-4840 रुपए, आदमपुर मंडी में ग्वार रेट 4225/4860 रुपए,
ग्वार के भाव में कितना हुआ सट्टेबाजी का असर
ग्वार के बाजार में सट्टेबाजी के कारण न केवल किसान बल्कि व्यापारी भी ठगे हुए महसूस कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक बाजार सट्टेबाजी और सिंडिकेट के चंगुल से मुक्त नहीं हो जाता तब तक इसमें तेजी आना मुश्किल है। यही वज़ह है कि अक्सर ग्वार के किसान भाव में होने वाली सट्टेबाजी के शिकार हो जाते हैं मौजूदा परिस्थितियों को देखे तो ग्वार के बाजार में मंदी नहीं दिख रही है, लेकिन तेजी आने के लिए जरूरी है कि फंडामेंटल कारक लागू हों। इसके लिए वायदा बाजार को सट्टेबाजों से मुक्त करना होगा और सरकारी स्तर पर इसके लिए कठोर कदम उठाने होंगे। जब इसमें कुछ तेजी देखने को मिल सकती है बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।