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5 साल के निचले स्तर पर पहुंचा भारत में अनाज का स्टॉक, क्या किसानों को मिलेगा इसका फायदा

grain stock reduces

5 साल के निचले स्तर पर पहुंचा भारत में अनाज का स्टॉक : FCI

किसान साथियो भले ही भारत में किसानो को उनकी फ़सल के बढ़िया भाव ना मिल रहे हों। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गेहूं का स्टॉक 14 साल और चावल का स्टॉक 5 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। FCI के डाटा से यह जानकारी निकलकर सामने आ रही है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या अनाज की कमी का फ़ायदा किसानों तक पहुंच पाएगा । WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

साथियो जैसा कि आप सबको पता है कि इस साल अत्याधिक गर्मी के कारण के महीने में गेहूं का दाना सिकुड़ गया था जिससे गेहूं के उत्पादन में भारी कमी देखने को मिली थी। उत्तर प्रदेश बिहार और कुछ अन्य राज्यों में कमजोर मानसून के कारण इस साल बारिश कम हुई है जिसके कारण चावल का उत्पादन भी कमजोर बताया जा रहा है। पिछले साल रबी और खरीफ दोनों सीज़न में ही उत्पादन समान्य से कम रहा है। इन खबरों के चलते अनाज की खुदरा कीमतें 22 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। ये भी पढे :- क्या सरसों बेचने का सही समय आ गया है l देखें आज की तेजी मंदी रिपोर्ट

FCI के डाटा के अनुसार 1 अक्टूबर को 51.14 मिलियन टन का कंबाइनड स्टॉक उपलब्ध था जो कि अनिवार्य बफर मानदंड 30.77 मिलियन टन के आरक्षित भंडार से मात्र 66% अधिक था।  सरकार को वर्ष के इस समय के लिए इतना स्टॉक बनाए रखना आवश्यक है, सरकारी डेटा के अनुसार चावल का स्टॉक घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन गेहूं का स्टॉक 14 साल के निचले स्तर पर आ गया है,  क्योंकि इस साल भरसक प्रयास के बावजूद सरकार अपने कुल गेहूं खरीद लक्ष्य का लगभग आधा भी नहीं खरीद सकी है। 1 अक्टूबर को गेहूं का स्टॉक 22.7 मिलियन टन था, जो कि वर्ष के इस समय के लिए तीन महीने की स्टॉक की न्यूनतम सीमा  20.5 मिलियन टन के रणनीतिक भंडार से थोड़ा सा ही ऊपर है ।  ये भी पढे :- देखें आज के सरसों के लाइव रेट Sarso Live Rate Today 15 Oct 2022

गेहूं के स्टॉक में कमी को देखते हुए ऐसा हो सकता है कि सरकार गेहूं की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ और सख्त कदम उठा ले। गेहूं की बढ़ती कीमतों के कारण भारत की उपभोक्ता मुद्रास्फीति दर सितंबर में वार्षिक आधार पर पिछले महीने में 7% की वृद्धि की तुलना में पांच महीने के उच्च स्तर 7.41% पर पहुंच गई, जो , भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 4-6% के टार्गेट से ज्यादा है । सितंबर में खाद्य मुद्रास्फीति 22 महीने के उच्च स्तर 8.4% पर पहुंच गई, पिछले महीने की तरह, अनाज, दालें, सब्जियां, दूध और दूध उत्पादों की कीमतों में तेजी का रुझान बना रहा।

अनाजों के स्टॉक की कमी को देखते हुए ऐसा सम्भव है कि सरकार स्टॉक लिमिट जैसे कुछ सख्त कदम उठा सकती है। ऐसे में गेहूं में माल निकालने का सोचा जा सकता है।
चावल की बात की जाए तो जैसा कि आमतौर पर देखने को मिलता है कि जब किसान के पास फ़सल होती है तो उम्मीद के अनुसार भाव नहीं मिलते फ़िलहाल यही देखने को मिल रहा है। बासमती का सीजन चल रहा है बासमती धान की ज़बरदस्त आवक शुरू हो चुकी है। किसानो ने इस साल बासमती में 4000 के ऊपर के भाव की उम्मीद लगा रखी थी लेकिन 1121 और 1718 के अभी तक के भाव को देखकर ऐसा नहीं लगता कि अनाजों के स्टॉक की कमी का फायदा किसानों तक पहुंच पाएगा। ये भी पढे :- बासमती धान के ताजा भाव | Basmati Paddy Rate Today 16 October 22