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गेहूं से पीलेपन और बौनेपन की समस्या का मात्र 5 दिन में इलाज | देखें पूरी डिटेल्स

गेहूं से पीलेपन और बौनेपन की समस्या का मात्र 5 दिन में इलाज | देखें पूरी डिटेल्स
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किसान साथियो गेहूं की फसल में पत्तों का पीला पड़ना एक आम समस्या है, जो कई बार किसानों के लिए चिंता का कारण बन जाती है। यह समस्या फसल की बढ़वार, फुटाव और उत्पादन पर सीधा असर डाल सकती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे पोषक तत्वों की कमी, ज्यादा पानी लगना या मिट्टी की संरचना का गड़बड़ होना। आज हम इस समस्या को दो अलग-अलग स्थितियों में समझेंगे और उनके समाधान पर चर्चा करेंगे।

गेहूं के पौधे छोटे रह जाते हैं तो क्या करे
पहली स्थिति में पौधे छोटे रह जाते हैं, बढ़वार नहीं होती और फुटाव भी नजर नहीं आता। इस समस्या का मुख्य कारण यह है कि जड़ों का विकास ठीक से नहीं हो पाता। ऐसा तब होता है जब जमीन ज्यादा गीली हो, हवा की कमी हो या डीएपी की कमी के कारण पौधे मिट्टी से पोषण न ले पा रहे हों। इस समस्या का समाधान यह है कि सबसे पहले पौधों को फॉस्फोरस और अन्य पोषक तत्वों की जरूरत पूरी की जाए। इसके लिए एनपीके 12:61:00 (1 किलो प्रति किले) या 19:19:19 (2 किलो प्रति किले) या नैनो डीएपी (250 एमएल प्रति किले) का स्प्रे करें। साथ ही, 250 मिली ह्यूमिक एसिड को 100-120 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा, सल्फर (80-90%) 3 किलो यूरिया के साथ मिलाकर सिंचाई से पहले डालें, जिससे मिट्टी थोड़ी भुरभुरी हो जाए और पौधों को पोषण मिल सके।

गेहूं में कल्ले कम निकलते है
दूसरी स्थिति में फसल की बढ़वार तो ठीक रहती है, लेकिन फुटाव कम होता है और पत्ते पीले पड़ने लगते हैं। यह समस्या पोषक तत्वों की कमी, ज्यादा पानी या पराली के अवशेषों की वजह से हो सकती है। इस स्थिति में पौधों को मजबूती और फुटाव बढ़ाने के लिए पांच जरूरी तत्व देने की जरूरत होती है। सबसे पहले जिंक का उपयोग करें। यदि चिलेटेड जिंक उपलब्ध हो, तो 100-125 ग्राम प्रति किले का स्प्रे करें। अगर चिलेटेड जिंक न मिले, तो जिंक सल्फेट (33%) 700 ग्राम प्रति किले उपयोग करें। इसके बाद, फेरस (लोहा) के लिए चिलेटेड फॉर्म 100-125 ग्राम या फेरस सल्फेट (19%) 500 ग्राम प्रति किले स्प्रे करें। इसके अलावा, मैग्नीशियम सल्फेट 1 किलो और मैंगनीज सल्फेट 500 ग्राम (चिलेटेड फॉर्म में 100-125 ग्राम) का स्प्रे भी जरूरी है। साथ में, 1 किलो यूरिया मिलाकर छिड़काव करें। इन तत्वों को दो अलग-अलग घोल बनाकर स्प्रे करें और यूरिया का घोल अलग रखें। इस छिड़काव से पौधों का फुटाव बढ़ेगा, हरियाली आएगी और पत्तों का पीलापन दूर होगा।

यूरिया का कब करे छिड़काव
एक और जरूरी बात यह है कि यूरिया का अंतिम छिड़काव 45-50 दिन तक कर देना चाहिए, क्योंकि 55 दिन के बाद फसल में गांठें बननी शुरू हो जाती हैं। इस समय फसल की लंबाई बढ़ने लगती है और इसे गिरने से बचाने के लिए हार्मोन व पोषक तत्वों का सही संतुलन जरूरी होता है। किसान भाइयों, गेहूं की फसल में पत्तों के पीलेपन की समस्या का सही समाधान समय पर किया जाए, तो फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है। फास्फोरस, सल्फर और अन्य पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग पौधों की जड़ों को मजबूत करता है, बढ़वार और फुटाव को बढ़ाता है और फसल को घना और हरा-भरा बनाता है। ध्यान रखें कि पोषण संतुलन और सिंचाई का सही प्रबंधन फसल की सेहत और पैदावार दोनों के लिए फायदेमंद है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।