गेहूं में बालियां निकालने के पहले और बाद में क्या डालें, जाने अधिक उत्पादन का रहस्य
गेहूं में बालियां निकालने के पहले और बाद में क्या डालें, जाने अधिक उत्पादन का रहस्य
किसान भाइयों, गेहूं की फसल की खेती करने वाले किसान भाईयों के लिए बालियां निकलने का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि जब गेहूं की बालियां पूरी तरह से निकलने लगती हैं, तो यह समय होता है कि आप कुछ खास कदम उठाकर फसल को और भी बेहतर बना सकें। खासकर बालियां निकालने के समय दाने का भराव, गुणवत्ता, चमक और वजन पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। इस समय सही देखभाल न केवल फसल के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह बाजार में गेहूं की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। सही पोषक तत्वों की आपूर्ति और फसल की रक्षा के लिए किए गए उपाय, गेहूं के दाने को वजनदार और चमकदार बना सकते हैं। बालियां निकलने के बाद आपको क्या खास काम करने चाहिए, ताकि आपकी गेहूं की फसल अच्छी हो और मुनाफा भी बढ़े। इस रिपोर्ट में हम बात के साथ-साथ यह भी समझेंगे कि बालियां निकलने के बाद किस तरह के पोषक तत्व और देखभाल के उपाय किए जा सकते हैं ताकि गेहूं की फसल का उत्पादन बढ़े और दाने का वजन भी सही हो। तो चलिए गेहूं की फसल के इस चरण को विस्तार से समझने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।
फ्लैग लीफ (झंडा पत्ता)
किसान साथियों, जब गेहूं की फसल में बालियां निकल रही होती हैं, तब उसका झंडा पत्ता (Flag Leaf) सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह पत्ता गेहूं की फसल में भोजन (photosynthesis) बनाने का प्रमुख हिस्सा होता है, जिससे दाने का विकास होता है। अगर इस पत्ते की देखभाल ठीक से नहीं की गई, तो फसल कमजोर हो सकती है और दाने की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। क्योंकि इस समय फंगस और रस्ट (Rust) जैसे संक्रमण का खतरा अधिक रहता है, जो इस पत्ते को प्रभावित कर सकते हैं। फंगस से बचाव के लिए आपको फंगीसाइड स्प्रे का उपयोग करना चाहिए। यदि आपके क्षेत्र में फंगस या रस्ट का प्रकोप नहीं है, तो आप यह स्प्रे करने से बच सकते हैं, लेकिन अगर आपने देखा है कि फसल में फंगस या अन्य बीमारियों के लक्षण दिख रहे हैं, तो स्प्रे करना जरूरी है। इसके लिए आप एक अच्छा फंगीसाइड जैसे Adama की Custodia या Syngenta की Impact Extra का चयन करें और 200 एमएल इंपैक्ट एक्स्ट्रा को 150 लीटर पानी में मिलाएं। यह मात्रा एक एकड़ फसल के लिए पर्याप्त है। लेकिन स्प्रे करते समय ध्यान रखें कि शाम के समय इसे स्प्रे करें। यह आपकी फसल को स्वस्थ रखने में मदद करेगा और झंडा पत्ते की रक्षा करेगा।
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पोटेशियम और सल्फर का उपयोग
किसान साथियों, बालियां निकलने के बाद गेहूं के दाने में भराव और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पोटेशियम (Potassium) है। पोटेशियम गेहूं के दानों को वजनदार, मोटा और मजबूत बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह दाने में प्रोटीन और दूध की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे दाने का स्वाद और गुणवत्ता बेहतर होती है। फसल में बालियां बनते समय आपको गेहूं की फसल में पोटेशियम की पर्याप्त आपूर्ति करनी चाहिए। इसके लिए आप NPK 0-0-50 (Potassium Sulfate) का स्प्रे कर सकते हैं। यह स्प्रे न केवल पोटेशियम की आपूर्ति करेगा, बल्कि इसमें सल्फर भी होता है, जो गेहूं के दानों की चमक और गुणवत्ता को बढ़ाता है। आप इस स्प्रे को 1 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही, गेहूं की फसल में इस समय बोरन (Boron) की भी जरूरत होती है, जो दाने की चमक और स्वाद को बेहतर बनाता है। बोरन को आप 200 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें। बोरन दाने की चमक को बढ़ाने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता को भी सुधारता है।
सिंचाई का सही समय
किसान साथियों, बालियों के निकलने के बाद, गेहूं की फसल को सिंचाई (Irrigation) का सही समय पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। क्योंकि इस समय पौधों को अधिक पोषक तत्वों और ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इस समय अगर पानी की कमी हो जाती है, तो दाने का भराव ठीक से नहीं हो पाता और दाना पतला रह जाता है। जो फसल के उत्पादन और गुणवत्ता पर अत्यधिक प्रभाव डालता है। इसलिए इस समय सिंचाई का सही तरीके से ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन ध्यान रखें कि सिंचाई के दौरान पानी को अधिक नहीं रूकने देना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि दाने में नमी ठीक से बनी रहे, जिससे दाना अच्छा और वजनदार बने। साथ ही, सिंचाई का ध्यान रखें ताकि गेहूं की फसल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
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पीजीआर की भूमिका
किसान भाइयों, पीजीआर यानी प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर, किसानों के लिए फसल के इस चरण में एक अहम भूमिका निभा सकता है, खासकर जब गेहूं की फसल की हाइट बढ़ने लगे और तने में मजबूती लानी हो। जब गेहूं के पौधे बहुत ऊंचे हो जाते हैं, तो फसल गिरने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में पीजीआर का उपयोग फायदेमंद साबित होता है। लिहोसिन, जो बीएसएफ कंपनी का उत्पाद है, एक बेहतरीन उदाहरण है। इसे 200 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करना होता है। इसका प्रभाव पौधे के तने को मजबूत बनाता है और उसे गिरने से बचाता है। इसके साथ ही, पीजीआर का उपयोग इंटरनोड की दूरी को कम कर देता है, जिससे पौधा और भी मजबूत बनता है और उसकी संरचना में मजबूती आती है। अगर पीजीआर का छिड़काव सही समय पर किया जाए, तो इससे फसल की उपज में सुधार हो सकता है, और तेज हवा में भी पौधे गिरने का खतरा कम होता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।