गेहूं में यूरिया के साथ डाल दें बस यह यह चीज | कल्लो से भर जाएगा खेत
किसान साथियो, अगर आपने इस समय गेहूं की खेती कर रखी है और आप असल में पहली सिंचाई कर चुके हैं तो यह रिपोर्ट आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। दोस्तों, जैसे-जैसे गेहूं की फसल बढ़ने लगती है, हमें उसकी उचित देखभाल और पोषण देने के लिए सही समय पर खाद और पानी देना बेहद जरूरी हो जाता है। गेहूं की फसल में यदि सही समय पर सही खाद का प्रयोग किया जाए, तो न सिर्फ फसल का विकास तेज़ी से होगा, बल्कि इसका पैदावार भी अच्छा रहेगा। खासकर, जब हम अपनी गेहूं की फसल में पहली यूरिया डालते हैं, तो इसका सीधा असर फसल के विकास और कल्ले की संख्या पर पड़ता है। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि गेहूं की फसल में पहली यूरिया डालने का सही समय क्या है, और इसके साथ कौन सी अन्य खाद का मिश्रण करना चाहिए, जिससे फसल की वृद्धि में चमत्कारी बदलाव आ सके। तो चलिए आज हम इसी विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे। इस बारे में संपूर्ण जानकारी लेने के लिए शुरू करते हैं आज की यह रिपोर्ट।
पहली सिंचाई का महत्व
किसान साथियों, गेहूं की फसल की शुरुआत में सबसे जरूरी कदम होती है उसकी पहली सिंचाई। सही समय पर की गई पहली सिंचाई से गेहूं के पौधे जल्दी से बढ़ते हैं और फसल का विकास सामान्य से अधिक तेजी से होता है। किसान भाइयों, जब गेहूं की फसल लगभग 21 से 25 दिन की हो जाए, तब यह सबसे सही समय है पहली सिंचाई करने का। इस समय पौधे की जड़ें मजबूत हो चुकी होती हैं, और हल्के पानी से सिंचाई करने पर उसकी जड़ों को ज्यादा फायदा होता है। हालांकि, पहली सिंचाई करते वक्त एक खास बात का ध्यान रखें कि पानी का स्तर ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहिए। हल्के पानी का छिड़काव करना सबसे अच्छा होता है, क्योंकि अत्यधिक पानी से जमीन में नमी का संतुलन बिगड़ सकता है, और फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यदि पानी ज्यादा जमा हो गया तो इससे फसल में नुकसान हो सकता है। इसलिए गेहूं की फसल में पहली सिंचाई संतुलित मात्रा में ही करनी चाहिए।
पहली यूरिया का उपयोग
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में जिस प्रकार पहली सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान होता है, इस प्रकार पहली यूरिया डालने का समय भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह पौधों की वृद्धि में तेजी लाता है और फसल में फुटाव और वृद्धि को बढ़ावा देता है। यूरिया में नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा होती है, जो गेहूं के पौधों को हरी-भरी पत्तियां और मजबूत विकास प्रदान करता है। जब आप अपनी गेहूं की फसल में पहली यूरिया डालने जाएं, तो ध्यान रखें कि 45 से 50 किलो यूरिया प्रति एकड़ की मात्रा सही रहती है। गेहूं की फसल में पहली यूरिया का उपयोग आप पहली सिंचाई के एक या दो दिन बाद करें। पहली यूरिया डालने से पौधों के अंदर वृद्धि प्रक्रिया में तेजी आती है, और उनकी जड़ों में भी मजबूती आती है। यह उन किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है जिनकी फसल में कल्लों की संख्या कम होती है या फसल कमजोर दिखाई देती है। इस समय यूरिया का सही मात्रा में प्रयोग करने से गेहूं के पौधे में बढ़िया फुटाव और ज्यादा कल्ले दिखाई देंगे, जिससे आपकी फसल में जबरदस्त वृद्धि होगी।
बायो बीटा का इस्तेमाल
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में पहली यूरिया अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल यूरिया डालने से आपकी फसल में वृद्धि अवश्य होती है, लेकिन आपकी फसल का संपूर्ण विकास नहीं होता? यदि आप अपनी फसल का संपूर्ण और सही तरीके से विकास करना चाहते हैं और अपनी फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको यूरिया के साथ थोड़े से खर्च के साथ एक और खास खाद मिलाकर डालते हैं, तो आपको काफी बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। इस खाद का नाम है बायो बीटा, यह खाद 100% ऑर्गेनिक खाद है। जो आपकी फसल के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अत्यंत फायदेमंद है। बायो बीटा एक ऐसी खाद है जो गेहूं की फसल के लिए अद्भुत फायदे प्रदान करती है। इसमें सल्फर, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, और अन्य माइक्रो न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो फसल के लिए जरूरी होते हैं। यदि आप पहली यूरिया में बायो बीटा को 5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से मिलाकर डालेंगे, तो आपकी फसल की वृद्धि में चमत्कारी बदलाव आएगा।
बायो बीटा डालने के फायदे:
1. ज्यादा कल्ले: किसान भाइयों, बायो बीटा डालने से आपके गेहूं के पौधों में ज्यादा तेजी के साथ वृद्धि होगी। इसके उपयोग से पौधों से अधिक कल्ले निकलेंगे। इससे पैदावार में वृद्धि होगी और आपकी फसल का उत्पादन भी अधिक मात्रा में होगा।
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता: साथियों, बायो बीटा से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है, जिससे फसल में रोगों का खतरा कम हो जाता है और आपके पौधे स्वस्थ रहते हैं, जिसके कारण आपकी फसल की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है।
3. पोषक तत्वों की सक्रियता: दोस्तों, मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्व जो स्थिर अवस्था में पड़े हैं और वह अपना काम पूरी तरह से नहीं कर रहे थे, बायो बीटा उन पोषक तत्वों को सक्रिय करता है, जिससे पौधों को आवश्यक सभी पोषक तत्वों की पूरी मात्रा प्राप्त हो जाती है और पौधों को ज्यादा पोषण मिलता है।
4. गहरी जड़ें और हरियाली: किसान भाइयों, अगर आप पहली यूरिया के साथ बायो बीटा का उपयोग करते हैं तो इसके उपयोग से पौधों की जड़ें गहराई तक फैलने लगती हैं, जिससे उन्हें अधिक पोषक तत्व मिलते हैं। साथ ही, अगर पौधों की जड़े मजबूत होगी तो उससे पत्तियों में गहरी हरियाली आती है, जिससे फसल और भी हरी-भरी दिखाई देती है।
अन्य विकल्प:
किसान भाइयों, यदि आप यूरिया के साथ बायो बीटा का प्रयोग नहीं करना चाहते, तो आप रासायनिक उर्वरक जैसे जिंक सल्फेट, फेरस सल्फेट और मैग्नीशियम सल्फेट जैसे खादों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इनका मिश्रण 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करने से फसल में शानदार विकास होगा। इस घोल को तैयार करने के लिए आपको जिंक सल्फेट 500 ग्राम प्रति एकड़, फेरस सल्फेट 500 ग्राम प्रति एकड़, और मैग्नीशियम सल्फेट 500 ग्राम प्रति एकड़ को एक साथ मिलाकर स्प्रे करना होगा। यह स्प्रे शाम के समय करें जब खेत में नमी हो, ताकि इसका असर बेहतर तरीके से हो सके। आप यह छिड़काव गेहूं की फसल में पहली यूरिया के साथ ही करें।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।