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सरसों के किसान कर लें यह काम | नहीं लगेगा सरसों में रोग

सरसों के किसान कर लें यह काम | नहीं लगेगा सरसों में रोग
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किसान भाइयों सरसों की बुवाई सर्दियों की शुरुआत यानी अक्टूबर और नवंबर के महीने में शुरू होती है सरसों की बुवाई का सबसे सही समय 10 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक होता है तो पोस्ट के के माध्यम से हम सरसों में लगने वाले रोग की जानकारी आपको देने वाले हैं ताकि सरसों में लगने वाले रोगों का सही से निवारण करके सरसों की फसल को क्षतिग्रस्त होने से बचा सके। सरसों में कई रोग लगते हैं। जिनमें से कुछ रोगों पर आज हम बात करेंगे

सरसों में लगने वाले रोग व निवारण

1. सफेद रोली (White rust) रोग

सरसों में कुछ रोग बहुत ही आम है और इन रोगों के हो जाने से उत्पादन में कमी हो जाती है इन रोगों में से एक सफेद रोली रोग है यह सरसों का अति भयंकर रोग है। इस रोग से सरसों की बुवाई के 30 से 40 दोनों के बाद ही पत्तियों में सफेद दाग या सफेद रंग के उभरे हुए फफोले दिखाई देते हैं। फफोलों की ऊपरी सतह पर पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। यदि यह फफोले फट जाते हैं, तो सफेद चूर्ण पत्तियों पर फैल जाता है। पीले रंग के धब्बे आपस में मिलकर पत्तियों को पूरी तरीके से ढक लेते हैं जिससे सरसों में फूलों एवं आने वाली फलियां पर इसका असर होता है। जिसके करण  सरसों के बीज नहीं बनते हैं

निवारण / नियंत्रण
* फसल की बुवाई के 55-60 दिनो बाद यदि इस रोग के लक्षण दिखाई दे तो रिडोमील एम.जेड 2% का छिड़काव करे, जरूरत पड़ने पर 10 दिनो के अन्तराल पर छिड़काव को दोबारा कर सकते हैं
* बीजों को जैव-नियंत्रक ट्राइकोड्रर्मा पाउडर की 8-10 ग्राम प्रति किलोग्राम या फफूंद नाशी मेटालेक्सिल (एप्रोन 36 एस.डी) की 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करकेे बुआई करे।
* रोग से बचाव के लिए सरसों की बुवाई अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते में ही करें

2. सरसों का छाछया रोग
सरसों में यह रोग एक कवक जनित रोग है जो शुरुआती पड़ाव में पौधों की पत्तियों में टहनियों पर मटमले सफेद चूर्ण के रूप में दिखाई देता है और अंत में पूर्णतया पूरे पौधे पर फैल जाता है जिस कारण सरसों की पत्तियां पीले होकर झड़ने लगते हैं

कैसे करें निवारण

छाछया रोग के नियंत्रण के लिए खड़ी फसलों में 20 से 25 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर पर छिड़काव करें। इसका दूसरा तरीका यह भी है कि 0.2% घुलनशील गंधक या केराथियान- एल. सी  का 0.1% घोल का छिड़काव कर सकते हैं जरूरत पडने पर 15 दिन के बाद इस छिड़काव को दोबारा दोहराया जा सकता है

3. सरसों का तना सड़न रोग
आज के समय में देखे जा रहे रोगों में से सरसों का यह रोग सबसे खतरनाक रोग है यह रोग भूमि व बीज जनित रोग है इस रोग में सरसों के ताने पर लंबे धब्बे नजर आते हैं जिन पर एक कवक जाल सा दिखाई देता है इसके बाद धीरे-धीरे तन गलना शुरू हो जाता है और पौधा मूरझाकर सूखने लगता है लगता है जिन क्षेत्रों में नमी की मात्रा अधिक होती है अक्सर इस रोग का प्रकोप उधर अधिक होता है

इस रोग का निवारण

* जिन पौधों में यह रोग लग चुका है उसको उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए |
* एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी और एक कतार से दूसरे कतर की दूरी पर्याप्त रखें |
* बीजों कोकार्बेन्डाजिम + मेन्कौजेब (साफ) 2 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
* सरसों की बुवाई के 50 से 60 दिनों के बाद या रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कौजेब 63% के मिश्रण का 0.2% के घोल का छिड़काव करे |

4. सरसों का तुलासिता रोग

सरसों के इस रोग से पत्तियों की ऊपरी सतह पीली पड जाती है और निकली सफेद सत्य पर सफेद पूरी फफूंदी दिखाई पड़ती है जिससे पत्तियों की निचली सतह पर हल्के भूरे बेगानी धब्बे पड़ जाते हैं इस रोग से तना व पुष्प फूल जाते हैं और फलियां में दाने नहीं बन पाते हैं इस रोग का प्रकोप सफेद रोली के साथ दिखाई देता है जिसके कारण फसलों को अत्यधिक नुकसान होता है।

नियंत्रण विधि

* सरसों की बुवाई अक्टूबर के पहले हफ्ते में करें
* बीजों को मेटालेक्सिल (अप्रोन एस. डी) 6 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
* फसल बबाई के बाद यदि इस रोग के लक्षण दे दिखाई दिए तो रिडोमील एम.जेड 2% का छिड़काव करे

5. सरसों में अंगमारी रोग

सरसों के इस रोग में सरसों की पत्तियों में कत्थई भूरे रंग के उभरे हुए धब्बे जिसके किनारे पीले रंग के दिखाई देते हैं यह धब्बे कुछ-कुछ आंख आपकी तरह दिखाई देते हैं यह धब्बे धीरे-धीरे आपस में मिलकर बड़े हो जाते हैं जिसके कारण पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और बाद में यह पत्तियां झड़ने लगती हैं

अंगमारी रोग से निवारण /नियंत्रण
* बीज को थायरम-75 डब्लू.पी 3 ग्राम या ट्राइकोड्रर्मा पाउडर 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोंपचार करे।
 * सरसों की बुवाई से पहले 100 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे 10 किलो ट्राइकोड्रर्मा हरजेनियम मिलाकर 15 दिन तक रखकर फिर खेत मे छिड़ककर हल्की सिंचाई कर दे।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट(Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।