गेहूं में दूसरी सिंचाई के साथ अगर यह काम कर लिया तो, 40 मण होगा उत्पादन।
किसान भाइयों, गेहूं की फसल से अच्छी पैदावार के लिए समय-समय पर सही देखभाल की जरूरत होती है। इसी प्रयास में किसान अपने खेतों में बुवाई के बाद से लेकर कटाई तक कई तरह के उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं ताकि फसल को उचित पोषण मिल सके। उर्वरकों के साथ-साथ किसान साथी फसल के बढ़िया उत्पादन के लिए सिंचाई का भी ध्यान रखते हैं, लेकिन गेहूं की अच्छी वृद्धि के लिए सिंचाई के साथ-साथ उर्वरकों का सही इस्तेमाल बेहद जरूरी है। खासकर, गेहूं की अगेती फसल के लिए कुछ खास उपायों को अपनाना चाहिए, ताकि पौधे स्वस्थ और मजबूत हों, और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हो। पौधों की वृद्धि और फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आजकल किसान महंगे दानेदार उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे डीएपी (DAP), एनपीके (NPK), और सिंगल सुपर फास्फेट। ये उर्वरक अच्छी पैदावार देने में मदद करते हैं, लेकिन इनकी कीमतें और परिवहन खर्च अधिक होते हैं। इसके मुकाबले, तरल उर्वरक (Liquid Fertilizers) का इस्तेमाल करना अधिक किफायती साबित हो सकता है। इनका उपयोग सरल होता है और यह सीधे पौधों की पत्तियों पर असर डालते हैं, जिससे परिणाम भी बेहतर होते हैं। तो, यदि आप गेहूं की फसल की अच्छी वृद्धि और अधिक उत्पादन चाहते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि कब और कैसे इन उर्वरकों का सही तरीके से उपयोग करें। तो चलिए इनकी मात्रा और सही समय के बारे में विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
तरल उर्वरकों का उपयोग
किसान भाइयों, किसान अक्सर अपनी गेहूं की फसल में दानेदार उर्वरकों का उपयोग करते हैं, जैसे एनपीके, डीएपी और सुपर फास्फेट। इनका मुख्य लाभ यह है कि यह पौधों को जरूरी पोषक तत्व देते हैं, लेकिन इनका परिवहन महंगा और कठिन होता है। दानेदार उर्वरक का एक बैग लगभग 50 किलो का होता है, जबकि तरल उर्वरक का वजन केवल 1 किलो होता है। यही कारण है कि तरल उर्वरकों का उपयोग किसानों के लिए अधिक किफायती होता है। इसके अलावा, तरल उर्वरकों का एक और बड़ा फायदा यह है कि इन्हें पत्तियों पर सीधे छिड़का जा सकता है। जब उर्वरक पत्तियों के संपर्क में आता है, तो पौधे जल्दी से पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि फसल की वृद्धि तेज होती है और पौधे स्वस्थ रहते हैं। इस तरह के उर्वरकों का उपयोग दानेदार उर्वरकों के मुकाबले सस्ता और अधिक प्रभावी हो सकता है, क्योंकि इन्हें लाने और ले जाने में काफी कम खर्च होता है।
दूसरी सिंचाई के बाद एनपीके का छिड़काव
दोस्तों, गेहूं की अगेती फसल में, दूसरी सिंचाई के बाद पौधे की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए तरल एनपीके का छिड़काव बेहद फायदेमंद हो सकता है। सामान्यत: किसान पहली सिंचाई के बाद नाइट्रोजन (Nitrogen) का उपयोग करते हैं, लेकिन दूसरी सिंचाई के बाद, जब गेहूं के पौधे अपने पैर जमाने लगते हैं, तब तरल एनपीके का छिड़काव करना चाहिए। इस समय गेहूं की बढ़िया बढ़वार के लिए एनपीके 18:18:18 एक अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश तीनों पोषक तत्व समान अनुपात में होते हैं। इसे 1 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से 120 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाता है। एनपीके के छिड़काव से पौधों की ग्रोथ में तेजी आएगी और खेत में हरियाली छा जाएगी। साथ ही, जो कल्ले देर से निकलते हैं, वे भी मजबूत हो जाएंगे। इससे गेहूं की पैदावार में भी वृद्धि होगी और गुणवत्ता बेहतर होगी।
पोटाश का उपयोग
साथियों, पोटाश, जिसे आमतौर पर K2O के रूप में जाना जाता है, गेहूं की फसल में बाली निकलने की अवस्था में छिड़काव करने के लिए आदर्श उर्वरक है। पोटाश का सही समय पर छिड़काव करने से गेहूं के दाने मजबूत, स्वस्थ और वजनदार बनते हैं। पोटाश का उपयोग खासकर बाली निकलने के समय किया जाता है, क्योंकि इस समय पौधों को ऊर्जा की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। गेहूं के पौधों में बलिया निकालने की अवस्था में किसान पोटाश का 1 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं। इस गोल के छिड़काव से गेहूं की बोलियों में बन रहे दानों में चमक आती है, साथ ही दाने स्वस्थ होते हैं और उनका वजन बढ़ता है। साथ ही, पोटाश फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे फसल को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सकता है।
फसल में करें फोलियर स्प्रे
किसान भाइयों, सर्दियों के मौसम में मिट्टी का तापमान कम होने के कारण, पौधे मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में कठिनाई महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति में, फोलियर स्प्रे एक कारगर विकल्प साबित होता है। फोलियर स्प्रे में पोषक तत्वों का घोल पत्तियों पर छिड़का जाता है, जिससे पौधे इन पोषक तत्वों को सीधे अवशोषित कर लेते हैं। एनपीके 12:61:0 फोलियर स्प्रे को सर्दियों में फसलों के लिए सबसे प्रभावी माना जाता है। इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस की पर्याप्त मात्रा होती है जो पौधे की वृद्धि और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इस स्प्रे को 5-7 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा 100 लीटर पानी में 1 किलो डीएपी घोलकर भी फसलों पर स्प्रे किया जा सकता है। एक अन्य प्रभावी स्प्रे बनाने के लिए 1 किलो यूरिया, 1 किलो जिंक सल्फेट (21%), 1/2 किलो मैग्नीशियम सल्फेट, और 300-400 ग्राम फेरस सल्फेट को 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे किया जा सकता है। यह स्प्रे पौधों को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करता है।
छिड़काव के फायदे
किसान साथियों, गेहूं की फसल में तरल उर्वरकों का छिड़काव करने के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि पौधे जल्दी से पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं, क्योंकि ये उर्वरक सीधे पत्तियों पर गिरते हैं। इससे पौधों की ग्रोथ तेज होती है और फसल में कोई भी पोषक तत्व की कमी नहीं होती। इसके अलावा, तरल उर्वरक का उपयोग करने से किसान कम खर्च में बेहतर परिणाम पा सकते हैं। जैसे कि पहले ही कहा गया है, तरल उर्वरक का वजन बहुत कम होता है, जिससे परिवहन में खर्च भी कम आता है और छिड़काव भी आसानी से किया जा सकता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।