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अगर सब कुछ करने के बाद भी खरपतवार नहीं जा रहा | तो बस यह आखिरी एक काम और कर लो

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किसान साथियो खरपतवार किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। ये अनचाहे पौधे फसलों के साथ पोषक तत्वों, पानी और सूर्य के प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे फसल की वृद्धि और उत्पादन प्रभावित होता है। खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किसान विभिन्न प्रकार के खरपतवारनाशकों का उपयोग करते हैं। हालांकि, इनका उपयोग करते समय सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। खरपतवारनाशकों के अत्यधिक या अनुचित उपयोग से मिट्टी और जल प्रदूषण, साथ ही फसलों को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, किसानों को खरपतवार नियंत्रण के लिए जैविक तरीकों जैसे खेतों की जुताई, खरपतवारों को हाथ से निकालना और फसल चक्र को अपनाने जैसे तरीकों को भी अपनाना चाहिए।

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, खरपतवार फसलों के लिए एक बड़ी समस्या है। उन्होंने बताया कि खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किसानों को फसल के 35 से 40 दिन बाद खरपतवारनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। गेहूं की फसलों में मुख्य रूप से चौड़ी पत्ती वाले और सकरी पत्ती वाले खरपतवार पाए जाते हैं जिनसे फसल को काफी नुकसान होता है। समय पर और सही तरीके से खरपतवार नियंत्रण करने से फसल की पैदावार में वृद्धि हो सकती है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

अगेती गेहूं की फसल में न करें ये गलती
किसान अक्सर अपनी गेहूं की फसल में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए खरपतवार नाशक दवाओं का उपयोग करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि पहली बार छिड़काव के बाद भी खरपतवार पूरी तरह से खत्म नहीं होते हैं, जिसके कारण किसानों को दोबारा दवा का छिड़काव करना पड़ता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की फसल जब 60 से 70 दिन की हो जाए, तो उसमें किसी भी प्रकार का खरपतवार नाशक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस समय खरपतवार नाशक दवाओं का छिड़काव गेहूं के पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है और फसल की पैदावार को कम कर सकता है। इसके अलावा, यह दवाएं निकलने वाली बालियों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए, किसानों को खरपतवार नियंत्रण के लिए अन्य प्राकृतिक तरीकों या शुरुआती दौर में ही खरपतवार नाशक दवाओं का उपयोग करने पर ध्यान देना चाहिए।

इस विधि से करें खरपतवार को नष्ट
यदि गेहूं की फसल में खरपतवार तेजी से बढ़ रहे हैं और मुख्य फसल के पौधों पर हावी होने लगे हैं, तो उन्हें हटाना बेहद जरूरी है। खरपतवारों को हटाने के लिए किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का उपयोग करने से बचना चाहिए। किसानों को चाहिए कि वे खेत में जाकर हाथ से ही निराई-गुड़ाई करें और खरपतवारों को उखाड़ फेंके। दरांती का उपयोग करके भी खरपतवारों को काटा जा सकता है। इस तरह खरपतवारों को हटाने से न केवल फसल को पर्याप्त पोषण मिलेगा बल्कि फसल की पैदावार में भी वृद्धि होगी। यह तरीका पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।