क्या धान के सीजन में कम हो सकती है बारिश ? रिपोर्ट

 

सरसों और गेहूं के प्रतिदिन गिरते भावों के चलते ऐसे ही किसानों में निराशा बढ़ ही रही थी कि अब अल नीनो की खबर के चलते भारत में कृषि क्षेत्र के प्रभावित होने की संभावना ने चिंता को और बढ़ा दिया है। आम तौर पर 3 से 5 साल बाद होने वाली इस घटना का मौसम की गतिविधियों पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है। हालांकि अल नीनो और ला नीना का किसानों को ज्यादा पता नहीं होता। इसलिए इस रिपोर्ट में हम इन दोनों घटनाओं को और इनके असर को विस्तार से समझायेंगे। WhatsApp पर भाव पाने के लिए ग्रुप join करे

जैसा कि आप सबको पता है कि मौसम का सीधा जुड़ाव खेती से हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अल नीनो की घटना से मानसूनी बारिश सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। और बारिश में खास तौर पर कमी देखने को मिलती है। कम बारिश का होना आने वाले समय में धान की खेती के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

क्या है अल नीनो
अल नीनो एक स्पैनिश नाम है जिसका मतलब है छोटा लड़का। सन 1600 में सबसे पहले अल नीनो के प्रभाव को देखा गया था। अल नीनो की परिस्थिति तब बनती है जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं। इससे गर्म पानी पीछे की तरफ यानी पूर्व दिशा में अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर आने लगता है। अलनीनो और ला नीना बारिश के पैटर्न को प्रभावित करते हैं। भारत के हिसाब से देखा जाए तो ला नीना प्रभाव भारत के लिए अच्छा रहता है। वहीं अल नीनो के कारण भारत में जून से अक्टूबर के बीच मॉनसून पर बुरा असर होगा। एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक जब भी अल लीलो की संभावना 45% या इससे ज्यादा तक बतायी गयी है तो भी छह में से तीन बार ही असल में अल नीनो बना है। अब देखने वाली बात यहीं है कि इस बार अल निनो बनता है या नहीं। कहीं मंदा कहीं तेज | देखें सरसों मंडियों में आज क्या लग रहे हैं टोप भाव | Sarso Live Rate Today 18 Mar 2023

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) के पूर्व निदेशक (साउथ एशिया) पीके जोशी के अनुसार  भले ही इस साल अल नीनो प्रभाव के कारण कम बारिश हो अधिशेष वर्षा वाले क्षेत्रों विशेष रूप से दक्षिणी भारत में फसल के नुकसान के मामले में ज्यादा प्रभावित नहीं हो सकता है क्योंकि मामूली कमी वाली बारिश वहां फसलों के लिए कोई गंभीर खतरा पैदा नहीं करती है.

मानसून का मौसम अभी दूर
पीके जोशी ने बताया कि उत्तर भारत के विकसित राज्यों खासकर हरियाणा और पंजाब में कम बारिश की स्थिति में भी खेती बाड़ी पर बड़ा प्रभाव नहीं होगा क्योंकि उनके इन राज्यों के पास सिंचाई के विकसित साधन हैं। आने वाले समय में यह देखना  बाकी है कि अल नीनो इस साल भारत में बारिश को प्रभावित करता है या नहीं क्योंकि मानसून का सीजन आने में अभी 4 से 5 महीने का समय बाकी है। फिलहाल देश में रबी सीजन खत्म होने की कगार है तो ऐसे में देशभर में किसी भी तरह के फसल नुकसान जैसी संभावना नजर नहीं आ रही है। सरसो और सरसो तेल में आई तेजी की बहार | देखे सरसो की तेजी मंदी रिपोर्ट `

मौसम विभाग का अनुमान
मौसम विभाग का कहना है कि मार्च से मई महीने तक सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तापमान अधिक रहने की संभावना है। उनका मानना है कि भारत अनिवार्य रूप से मानसून से पहले और बाद में इस गंभीर घटना का अनुभव करेगा जो कृषि क्षेत्र को प्रभावित करेगा. यदि अल नीनो का प्रभाव कृषि क्षेत्र पर देखने को मिलता है तो खेती कमजोर हो सकती है इससे सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी क्योंकि खाद्य वस्तुओं की कमी से मुद्रास्फीति में वृद्धि होगी।